अजयारविंद नामदेव, शडहोल। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले का एक ऐसा नगर जो शाम होते ही ओझल हो जाता है। चौंकिए नहीं.. दरअसल, कोयलांचल नगरी के नाम से सुप्रसिद्ध धनपुरी में कई कोल खदान संचालित हैं। जिससे यहां आसानी से कोयला मिल जाता है। इसी कोयले को लोग जलाकर अंगीठी और खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं, जिससे चारों तरफ धुआं ही धुआं हो जाता है। इस धुएं के चलते विजिबिलिटी कम हो जाती है और धनपुरी शहर विलुप्त सी हो जाती है।

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50 हजार से अधिक आबादी वाले धनपुरी नगरपालिका क्षेत्र में 28 वार्ड हैं। लेकिन ज्यादातर वार्डों में कोयला एक सस्ता व सुलभ घरेलु ईधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। दिन ढलते ही खाना पकाने और आग तापने के लिए जलाई गई सिगड़ी से निकलने वाला धुआं आस-पास के परिवेश में धुंध की तरह जमा जाता है, जिससे दिखने के साथ-साथ सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।

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शाम होते ही यहां का वातावरण में कुछ ऐसी हो जाती है कि दस मीटर से आगे दिखाई देना मुश्किल हो जाता है। कोयले की सिगड़ी से चलने के कारण शहर का वातावरण भी दूषित होता जा रहा है। इसकी रोकथाम के लिए प्रशासन भी कोई ठोस पहल नहीं करता।

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