अजयारविन्द नामदेव, शहडोल। केंद्र सरकार के निर्देश के बाद वीआईपी वाहनों से लाल बत्ती तो हटा ली गई, लेकिन कुछ रसूखदार आज भी अपने वाहनों में पीली बत्ती लगाकर अपने आप को वीआईपी दिखाने से बाज नहीं आ रहे हैं। वाहन पर पीली व नीली बत्ती लगाकर घूमने का शौक मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शहडोल जिले के कुछ प्रभावशाली लोगों में इस कदर हावी है कि वो यह भी भूल जाते हैं कि जो बत्ती और हूटर वो लगा रहे हैं, उसका अधिकार उन्हें है भी या नहीं।

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दरअसल, शहडोल जिले में संचालित SECL कोयला खदान में लगी प्राइवेट कंपनी के माल वाहक कैम्पर वाहनों में पीली बत्ती लगी हुई है। जो कि जिले के धनपुरी थाना क्षेत्र के नगर में आबादी के बीच रोजाना पीली बत्ती लगाकर मुख्य चौराहे पर पुलिस के सामने से फर्राटे भर लोगों को पीली बत्ती का रौब झड़ते नजर आते हैं। ऐसे में यह बड़ा सवाल यह कि नियमों की अनदेखी होने के बावजूद पुलिस वाहन मालिक के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही। बहरहाल उक्त गाड़ी चर्चा का विषय बनी हुई है। लोगों ने पुलिस व प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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ऐसा नहीं है कि पुलिस को जानकारी न हो, पुलिस को मामले की जानकारी भी है और यह भी पता है कि किसकी गाड़ी पर बिना अनुमति के पीली बत्ती लगी है। लेकिन पुलिस कार्रवाई करने से पीछे हट रही है। सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाकर गाड़ी के ऊपर पीली बत्ती लगाकर खुद को वीआईपी साबित करने के लिए स्टेटस सबल अपनाया जा रहा है। जबकि नियमों के अनुसार वाहनों पर लाल व नीली बत्तियां हर कोई नहीं लगा सकता है। इसके लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली में बाकायदा यह तय किया गया है कि कौन-कौन लोग लाल, नारंगी व नीली बत्ती का प्रयोग कर सकते हैं।

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