आरिफ कुरैशी, श्योपुर। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में एक अंधे व्यक्ति को अपने दिव्यांग होने का प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अस्पताल के चक्कर लगाना पड़ रहा है। इसके बावजूद उसका प्रमाण पत्र बनाने की बजाए, उसे यहां-वहां घुमाया जा रहा है। मामला मीडिया के सामने आने के बाद अब जिम्मेदार सफाई दे रहे हैं। यह पूरा मामला जिला अस्पताल का है।

बताया जा रहा है कि नन्नू उर्फ दिनेश नामदेव निवासी वार्ड-19 पिछले 12 साल से दोनों आंखों से अंधे हो गए थे। उन्होंने कई जगह अपनी आंखों का चेकअप कराया, लेकिन आंखों की रोशनी नहीं लौटी। उनके अंधे होने का प्रमाण पत्र भी उस समय डॉक्टरों ने उन्हें दिया, लेकिन दिव्यांग को पेंशन आदि योजनाओं का लाभ नहीं मिला। अब जब उन्होंने पेंशन के लिए फार्म भरा तो दिव्यांग प्रमाण पत्र को अपडेट कराने के लिए उन्हें कहा गया।

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प्रमाण पत्र अपडेट कराने के लिए वह अपनी बेटी साथ पिछले 5 दिनों से जिला अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन दिव्यांग की कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। इससे वह परेशान है और सिस्टम को कोस रहा है। दिव्यांग ने बताया कि जब से उन्हें आंखों से दिखाई देना बंद हुआ है, तब से उनकी पत्नी दूसरों के घरों में झाड़ू-पोछा कर परिवार का गुजारा कर रही है।

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वह चाहते हैं कि उन्हें शासन से मिलने वाली दिव्यांग पेंशन योजना का लाभ मिल जाए, लेकिन उन्हें चक्कर पर चक्कर लगवाए जा रहे हैं। इन हालातों में उन्हें न सिर्फ परेशानियां उठानी पड़ रही है, बल्कि उनके साथ उनकी 15 साल की बेटी को भी अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। अब जिला अस्पताल के सिविल सर्जन दिलीप सिंह सिकरवार सफाई दे रहे हैं कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, जांच करवाएंगे।

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