सुरेश पाण्डेय, सिंगरौली। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में प्रशासन की बुलडोजर कार्रवाई से हड़कंप मच गया। प्रशासन की जमीन बताकर की गई इस कार्रवाई में एक गरीब विधवा महिला समेत कई परिवारों के मकान ध्वस्त कर दिए गए, जिससे महिलाएं और बच्चे कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं। इस कार्रवाई ने मानवीय संवेदनाओं और प्रशासनिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

20 से 30 साल से रह रहे थे, बिना नोटिस कार्रवाई का आरोप

मामला जिले के मोरवा थाना क्षेत्र अंतर्गत महदेईया गांव का है। पीड़ित महिलाओं का कहना है कि वे पिछले 20 से 30 वर्षों से यहां मकान बनाकर रह रही थीं और पूरी तरह भूमिहीन हैं। आरोप है कि बिना पूर्व सूचना या नोटिस दिए उनके घरों पर बुलडोजर चला दिया गया। घरों में रखा राशन, बर्तन और जरूरी सामान मलबे में दब गया। महिलाओं ने बताया कि अगर समय दिया गया होता तो वे कम से कम घरेलू सामान निकाल सकती थीं।

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रोते-बिलखते कलेक्ट्रेट पहुंचकर लगाई मदद की गुहार

महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया कि एक दिन पहले उन्होंने जिले के कलेक्टर गौरव बैनल से मुलाकात की थी, जहां उन्हें आश्वासन दिया गया था कि उनके मकान नहीं गिराए जाएंगे, लेकिन इसके बावजूद अगले ही दिन बुलडोजर कार्रवाई कर दी गई। कार्रवाई के बाद देर शाम पीड़ित महिलाएं और बच्चे रोते-बिलखते कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और मदद की गुहार लगाई। पीड़ितों का कहना है कि सरकार भूमिहीनों को जमीन और मकान देने की बात करती है, लेकिन वर्षों से सरकारी जमीन पर रह रहे गरीबों को न पट्टा मिला और न ही पुनर्वास।

महावीर कोलवासरी को देने खाली कराई गई जमीन, SDM ने कही ये बात

बताया जा रहा है कि यह जमीन महावीर कोलवासरी को देने के लिए खाली कराई गई है। इस मामले की जानकारी मिलने पर शहरी एसडीएम सुरेश जाधव और तहसीलदार प्रीति सिकरवार मौके पर पहुंचे और पीड़ितों को तहसील कार्यालय ले गए। एसडीएम सुरेश ने कहा कि मामला चितरंगी क्षेत्र का है, जांच कर उचित सहायता दी जाएगी। फिलहाल इस कार्रवाई से प्रशासन की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।

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