सुरेश पाण्डेय, सिंगरौली। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के धीरौली कोल ब्लॉक में बीते एक महीने से लगातार हो रही पेड़ों की कटाई अब स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय बहस का विषय बन चुकी है। जंगलों पर चल रही मशीनों और हजारों की संख्या में तैनात पुलिस बल के बीच कटाई का काम जारी है, जिसे लेकर क्षेत्र के आदिवासी समुदाय में गहरा रोष और चिंता व्याप्त है। स्थानीय नेताओं के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने भी मौके पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गया।
आदिवासियों का कहना है कि जंगल लगाना बेहद कठिन होता है, लेकिन जो प्राकृतिक जंगल पीढ़ियों से मौजूद हैं, उनका संरक्षण तक नहीं किया जा पा रहा। विकास के नाम पर की जा रही यह कटाई पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रही है। लोगों को आशंका है कि इससे हवा की गुणवत्ता खराब होगी, तापमान बढ़ेगा और जल स्रोतों पर भी असर पड़ेगा।
कलेक्टर बोले- अन्य जिलों में कराया जाएगा वृक्षारोपण
जिला प्रशासन और कलेक्टर गौरव बैनल का कहना है कि कटाई के बदले मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में वृक्षारोपण कराया जाएगा, लेकिन स्थानीय लोगों का सवाल है कि क्या कहीं और पौधे लगाना, सिंगरौली के पुराने जंगलों की भरपाई कर सकता है। उनका कहना है कि एक पूरा इको सिस्टम खत्म किया जा रहा है, जिसकी भरपाई संभव नहीं।
आदिवासियों ने की ये मांग
आदिवासियों का आरोप है कि उन्हें जो मुआवजा दिया जा रहा है, वह न तो मौजूदा महंगाई के हिसाब से पर्याप्त है और न ही उससे कहीं और जमीन खरीदकर सम्मानजनक जीवन जीना संभव है। विस्थापन की स्थिति में वे उचित मुआवजे के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि मौजूदा विस्थापन नीति पूरी तरह नाकाफी है।
कांग्रेस ने रिपोर्ट बनाकर केंद्रीय नेतृत्व को सौंपी
गौरतलब है कि कांग्रेस की 12 सदस्यीय टीम ने सिंगरौली पहुंचकर धरना-प्रदर्शन किया था। आदिवासियों से मुलाकात कर पूरे मामले की रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को सौंप दी है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि विपक्ष इस मुद्दे पर आगे क्या कदम उठाता है और क्या सिंगरौली के आदिवासियों को न्याय मिल पाएगा।
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