अजय नीमा, उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन में प्रतिवर्ष सावन के माह में निकलने वाली बाबा महाकाल की सवारी में अनोखी परंपरा का निर्वाह किया जाता है, जो कि देश में अन्य जगहों पर नहीं किया जाता है। दरअसल, बाबा महाकाल को राजा माना जाता है। बाबा महाकाल की पालकी जब मंदिर के मुख्य द्वार पर आती है तो होमगार्ड की सशस्त्र बल की टुकड़ी के द्वारा बाबा को गार्ड ऑफ ऑनर(सालामी) दी जाती है।
उज्जैन जिले के होमगार्ड कमांडेड संतोष जाट ने बताया कि बाबा महाकाल को सवारी में गार्ड ऑफ ऑनर (सालामी) देने की प्राचीन परंपरा है। होमगार्ड की जबसे स्थापना हुई है सलामी देने का दायित्व होमगार्ड निभाता आ रहा है। होमगार्ड के 21 जवान.. प्लाटून कमांडर के साथ में बाबा महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं, जो कि आकर्षक सरमोनियल ड्रेस में होते हैं। गॉड ऑफ ऑनर की यह प्रक्रिया सवारी के दौरान तीन बार की जाती है। पहली बार जब पालकी मंदिर के मुख्य गेट पर आती है तो पुलिस बैंड की धुन पर पहली सलामी दी जाती है। दूसरी बार सलामी रामघाट पर आरती के बाद दी जाती है और तीसरी बार पालकी जब वापस मंदिर लौटती है तो मंदिर के मुख्य द्वार पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है।
सवारी के पूरे समय 7 km के सवारी मार्ग पर होमगार्ड की प्लाटून टुकड़ी बाबा महाकाल की पालकी के आगे मार्च पॉस्ट करते हुए चलती है। बाबा महाकाल की प्रथम सवारी में होमगार्ड प्लाटून का नेतृत्व महिला प्लाटून कमांडर गायत्री वर्मा द्वारा किया गया था, जिनके साथ 21 जवान प्लाटून में शामिल थे। बाबा महाकाल की सवारी में प्लाटून में चलने के लिए होमगार्ड के जवानों में होड़ रहती है।
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