अजय नीमा, उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में हर त्योहार की शुरुआत भगवान महाकाल के दरबार से होती है। बाबा महाकाल के मंदिर में दीपोत्सव पर्व को लेकर बहुत सी तैयारियां चल रही हैं। 09 नवंबर को संध्या आरती में फुलझड़ी जलाई गईं। इसके अलावा सभी त्योहार सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनाए जाने की परंपरा है।
बरसों से चली आ रही परंपरा
महाकाल मंदिर के पुजारी पं. महेश गुरु ने कहा कि महाकाल मंदिर में परंपरा अनुसार हिंदू धर्म के सभी प्रमुख त्योहार एक दिन पहले मनाए जाते हैं। मान्यता है कि भगवान महाकाल अवंतिका के राजा हैं, इसलिए त्योहार की शुरुआत राजा के आंगन से होती है। इसके बाद प्रजा उत्सव मनाती है। अनादिकाल से चली आ रही इस परंपरा के अनुसार इस बार भी 12 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी।
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धनतेरस पर पूजन
मध्य प्रदेश के उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में कल से दीपावली पर्व की शुरुआत हो चुकी है। कल संध्या आरती में महाकाल को श्रृंगार कर आरती में गर्भगृह में फुलझड़ियां छोड़ी गई। आज महाकाल मंदिर में धनतेरस का पूजन होगा। 12 नवंबर को सुबह महाकाल के आंगन में सबसे पहले दीपावली मनाई जाएगी और छप्पन भोग लगेंगे।
धनतेरस पर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर में दीपावली का पर्व एक दिन पहले मनाया जाता है, लेकिन दीपोत्सव के तीन दिन पहले ही महाकाल के दरबार में पुजारी परिवार ने महाकाल के साथ दीपावली मनाकर दीपावली की शुरुआत की। गुरुवार को धनतेरस के एक दिन पहले ही आरती के दौरान पुजारियों ने मिलकर भगवान के साथ गर्भ गृह में फुलझड़िया जलाकर दिवाली मनाई।
11 नवंबर को रूप चतुर्दशी पर पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान को केसर चंदन का उबटन लगाएंगी। पुजारी भगवान को गर्म जल से स्नान कराएंगे। कर्पूर से आरती होगी। स्नान के बाद भगवान महाकाल को नए वस्त्र, सोने चांदी के आभूषण अर्पित आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा। इसके बाद अन्नकूट भोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी।
12 नवंबर को दीपावली पर तड़के चार बजे भस्मारती से रात 10.30 बजे शयन आरती तक नियमित पांच आरतियों में फुलझड़ी चलाई जाएगी। बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया जाएगा।
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13 नंवबर (गोवर्धन पूजा) कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर मंदिर के मुख्य द्वार पर पुजारी परिवार की महिलाएं गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा-अर्चना करेगी। इसके बाद चिंतामन स्थित मंदिर की गोशाला में गोवंश की पूजा-अर्चना की जाएगी।
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