अजय नीमा, उज्जैन। आधुनिक और विज्ञान के युग में भी अंधविश्वास की पराकाष्ठा देखने को मिल रही है। दरअसल, मध्य प्रदेश के उज्जैन (Ujjain) में निमोनिया होने पर एक डेढ़ महीने के बच्चे को गर्म सरिए से दागा गया। सांस लेने में तकलीफ होने पर उसे बुधवार को अस्पताल ले जाया गया, आज वह ऑक्सीजन सपोर्ट पर है। फिलहाल वह मां का दूध भी नहीं पी रहा है, उसे इंफेक्शन होने का खतरा भी बना हुआ है। यह पूरा मामला जिले के महिदपुर तहसील के किशन खेड़ी का है।

वहीं परिवार टोना टोटके से इनकार रहा है। उनका दावा है कि बच्चा दूसरे बच्चे की गलती से जला है। जबकि बाल देखभाल इकाई के चिकित्सकों का कहना है कि नवजात के शरीर पर निशान देखकर लग रहा है कि उसे गर्म सरिए से दागा गया है। जानकारी के मुताबिक, किशन खेड़ी के रहने वाले सोनू उर्फ मधु बेटे अजीत को गंभीर हालत में चरक अस्पताल लेकर गए थे। दंपति ने बताया कि बच्चे को जन्म से ही निमोनिया है कई जगह इलाज कराया ठीक नहीं हुआ।

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बच्चे के दादा ने डॉक्टर से कहा गलती हो गई

माता-पिता ने अस्पताल स्टाफ को बताया कि दूसरे बच्चे ने उनके बच्चे को जला दिया है। यही बात दोहराते हुए बच्चे के दादा बहादुर ने डॉक्टर के आगे हाथ जोड़कर कहा कि छोटे बच्चों ने गलती कर दी मैं किसी अंधविश्वास में नहीं पड़ता, लेकिन आप जो बोल रहे है सही है।

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डॉक्टर बोले सीने पर क्रॉस का निशान बच्चा नहीं कर सकता सहन

आईएमओ निधि जैन ने कहा कि बच्चा 1 महीने 10 दिन का है, उसके सीने पर क्रॉस का निशान है। शायद बच्चों के पेरेंट्स डर गए हैं उन्होंने गुनाह तो किया है इसलिए बता रहे हैं कि 4 साल के बच्चे ने जला दिया। जबकि इतना क्लियर मार्क 4 साल के बच्चे से देना संभव नहीं है। गांव के बाबा बैरागी लोगों को अंधविश्वास में फंसा लेते हैं कहीं ना कहीं जन जागरूकता में कमी है।

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