प्रदीप मालवीय, उज्जैन। साल के अंतिम चंद्रग्रहण के बाद महाकाल मंदिर और पूरे परिसर को पानी से धोया गया। हालांकि ग्रहण के दौरान भी भक्तों के लिए बाबा महाकाल का मंदिर खुला रहा, लेकिन गर्भ गृह में प्रवेश और शिवलिंग को स्पर्श करना वर्जित था। ग्रहण खत्म होते ही पुजारी स्नान कर मंदिर पहुंचे।

दरअसल, मंगलवार को वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण था। उज्जैन में चंद्रोदय शाम 5:43 बजे होने के कारण शाम 6:19 बजे तक केवल 36 मिनट ही आंशिक चंद्रग्रहण रहा। ग्रहण के बाद श्री महाकालेश्वर मंदिर को कर्मचारियों ने धोकर शुद्धिकरण किया। इस चंद्र ग्रहण की अवधि में भी आम श्रद्धालुओं को दर्शन से नहीं रोका गया था। हालांकि गर्भ गृह में प्रवेश एवं भगवान महाकाल के शिवलिंग को स्पर्श करना वर्जित था। चंद्र ग्रहण के दौरान भी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। इसके साथ ही महाकाल मंदिर के पांडे एवं पुजारी भी बाबा महाकाल की भक्ति में लीन नजर आए।

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खगोल प्रेमियों को निराशा हाथ लगी

आज के चंद्र ग्रहण में उज्जैन के खगोल प्रेमियों को निराशा हाथ लगी। बादल होने के कारण उज्जैन की जीवाजी वेधशाला पर चंद्रग्रहण दिखाई नहीं दिया। 36 मिनट के आंशिक चंद्रग्रहण को देखने के लिए बड़ी संख्या में खगोल प्रेमी जीवाजी वेधशाला पहुंचे थे।

ग्रहण के बाद मोक्षदायिनी माँ क्षिप्रा में श्रद्धालुओं ने लगाई डूबकी

ग्रहण के मोक्ष के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु मोक्षदायिनी माँ क्षिप्रा के तट पर स्नान और दीपदान के पहुंचे।
जैसे ही ग्रहण समाप्त हुआ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और दीपदान किया।

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