संजय विश्वकर्मा,उमरिया। मध्यप्रदेश  के उमरिया  जिले से ईसाई मिशनरीज का एक नया खेल सामने आया है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि यहां बीमारी ठीक करने के नाम पर लोगों को धर्मांतरण करने पर जोर दिया जा रहा है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब एक परिवार ने भागवत कथा वाचक की कथा से प्रभावित होकर घर वापसी की है। मतलब  पुनः सनातन धर्म का रास्ता इखियार किया हैं। बीते 6 माह से अधिक समय तक मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे परिवार की जुबानी सुनकर आपकी रूह काप जाएगी।

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ऐसे फूटा धर्म परिवर्तन का भांडा

दरअसल चंदिया नगर के वार्ड नम्बर 02 निवासी कमलेश चौधरी अपनी धर्मपत्नी की बिगड़ी तबियत को लेकर काफी चिंतित थे और लगातार ईलाज के लिए डॉक्टर्स के चक्कर लगा रहे थे। उसी बीच कुछ लोगो ने उन्हें सलाह दी की ईसाई धर्म अपना लो तो आपकी धर्म पत्नी की तबियत ठीक हो जाएगी। लेकिन जब मैं उनकी सभाओ में जाना चालू कर दिया तो मुझे अच्छा नही लगता था,उन सभाओ में मेरे जैसे ऐसे लोग पहुचते थे जिन्हें कोई न कोई समस्या बनी रहती थी। वहा सब एक साथ बैठकर दुआ प्रार्थना करते थे। साथ ही मुझे यह निर्देश दिया गया था की अब तुम कोई पूजा पाठ नही करना और देवी देवताओं से दूर रहने के लिए कहा गया था।

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आत्महत्या करने के रोज आते थे ख्याल

वहीं कमलेश की पत्नी उर्मिला ने बताया की मेरी तबियत बीते 2 वर्षों से काफी ख़राब रहती थी। आसपास के जिलों में मैंने ईलाज करवाया पर आराम नही मिल रहा था। ईसी बीच कुछ लोगो ने सलाह दी की तुम चर्च जाओ वहा आराम मिल जाएगा। बीते कई माह से मै हर रविवार वहां  होने वाली चंगाई सभा जा रही हूं, पर मुझे कोई आराम नही लगा। उल्टे  मेरी मानसिक स्थित्ति और ख़राब होती चली गई। मुझे दिमागी चिंता सताने लगी,मुझे आत्महत्या करने के ख्याल रोज आने लगे। मै कभी अपने नजदीक में चाक़ू तो कभी कुल्हाड़ी रखने लगी और कभी रस्सी मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की मै रस्सी से लटक कर अपनी जान दे दूं। उन्होंने बताया कि जब से ईसाई धर्म स्वीकार किया था तबसे मुझे रात में नीद तब तक नही आती थी। लेकिन जब मैंने 30 मार्च की रात को हिन्दू धर्म स्वीकार किया है तो बीते एक साल बाद मैं अपनी पूरी नींद ले पाई हूं। 

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सनातन का अलख जगाना मेरा उद्देश्य

वही कथावाचक शैलेन्द्र नन्द ने जानकरी देते हुए बताया की ईसाई मिशनरीज बीमारी के ईलाज करने का झूठा दिखावा करके बड़ी सक्रियता के साथ धर्मांतरण करने का काम कर रहे है। जो जरा भी ठीक नही है,उन्होने आगे बताया की यह कोई पहला प्रकरण नही हैं जब मेरी कथा के दौरान घर वापसी हुई हो। इसके पहले भी ऐसे कई लोगो की घर वापसी मेरे द्वारा हुई है। हाल ही में बालाघाट जिले में कथा के दौरान 13 परिवारों की घर वापसी हुई हैं। साथ ही लालबर्रा में भी कई परिवारों की घर वापसी हुई है। उमरिया जिले की इस चंदिया नगर में अभी कुछ और परिवार हमारे संपर्क में हैं जिनकी घर वापसी होना हैं. 

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