अभिषेक अवस्थी, गंजबासौदा (विदिशा)। मध्य प्रदेश में कई जिलों में जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जा रही है. इसी कड़ी में विदिशा जिले के गंजबासौदा में रथ यात्रा निकाली गई. आज के दिन गंजबासौदा में तीन रथ निकलते हैं. जिसमें पहला नौलखी धाम धाम से, दूसरा पंचमुखी हनुमान मंदिर से तो तीसरा रथ भावसार मंदिर से नगर भ्रमण के लिए निकला जाता है. आज के दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाने के लिए निकलते हैं. जिसमें वो पूरे नगर का भ्रमण करते हुए समस्त भक्तों को दर्शन देते हैं.

वैसे तो गंजबासौदा में रथ यात्रा हर साल बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. लेकिन इस बार ये उत्साह कुछ अलग ही दिखाई दे रहा है. क्योंकि नौलखी धाम पर इस साल भगवान जगन्नाथ के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई है. इस नवीन विग्रह को जगन्नाथ पूरी से नगर तक लगभग 600 किलो मीटर की पद यात्रा करते हुए भक्त लेकर आए थे.

नगर में निकलने वाली रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए दूर दराज के ग्रामीण इलाकों से श्रद्धालु आते हैं और सड़क के दोनों ओर खड़े होकर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करते हैं. वहीं नगर मे कई जगह श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण और भंडारों का आयोजन किया जाता है.

न्यायद्दीन अली, अनूपपुर। मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के बिजुरी नगर में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई. नगर के हनुमान मंदिर से यात्रा निकली गई. जिसके बाद भगवान जगन्नाथ की आरती कर कार्यक्रम का समापन्न किया गया. इस बीच भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. नगरपालिका अध्यक्ष उपाध्यक्ष सहित नगर के समस्त समाज के लोगों ने यात्रा में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया.

इमरीश मोहम्मद, पन्ना। मंदिरों की पवित्र नगरी पन्ना में हर साल आयोजित होने वाली रथयात्रा की परंपरा अनूठी है. यहां ओडिशा के जगन्नाथपुरी की तर्ज पर हर साल जगन्नाथ यात्रा आयोजित की जाती है. इस भव्य रथयात्रा में धार्मिक समारोह में राजशी ठाट-बाट और वैभव की झलक दिखती है. हर साल की तरह इस साल भी रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ स्वामी की एक झलक पाने समूचे बुन्देलखंड क्षेत्र से हजारों की संख्या में आज श्रद्धालु पन्ना पहुंचे और उत्साह के साथ नगर में जगन्नाथ स्वामी की रथ यात्रा निकाली गई. इस दौरान प्रशासन भी अलर्ट दिखाई दिया.

उड़ीसा के जगन्नाथपुरी के तर्ज पर हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पन्ना में भी रथयात्रा निकाली जाती है. इस ऐतिहासिक रथयात्रा की शुरुआत पन्ना नरेश महाराजा किशोर सिंह ने 170 सालों से भी अधिक समय पहले शुरू की थी. जो परंपरानुसार हर साल निकाली जाती है. हर साल की तरह इस साल भी पन्ना में धूमधाम से रथयात्रा निकालकर सदियों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन किया गया. बता दें कि यह अनूठी रथयात्रा देश भर में तीन जगह ही निकाली जाती है.

पन्ना निवासी जिले की प्राचीन और ऐतिहासिक रथयात्रा महोत्सव की शुरुआत तत्कालीन पन्ना नरेश महाराजा किशोर सिंह ने की थी. उस समय वे जगन्नाथपुरी से भगवान जगन्नाथ स्वामी जी की मूर्ति लेकर आए थे और पन्ना में भव्य मंदिर का निर्माण कराया था. जगन्नाथपुरी में समुद्र है, इसलिए पन्ना के जगन्नाथ स्वामी मंदिर के सामने सुंदर सरोवर का निर्माण कराया गया था. तभी से वहां पुरी की ही तर्ज पर रथयात्रा समारोह का आयोजन होता है, जिसमें लोग पूरे भक्ति भाव और श्रद्धा के साथ लोग शामिल होते हैं. भगवान जगन्नाथ स्वामी को अंकुरित मूंग का भोग चढ़ाया जाता है. आज भी वहां पर अंकुरित मूंग और मिश्री का भोग चढ़ता है.

जानकारों का यह कहना है कि राजाशाही जमाने में पन्ना की रथयात्रा बड़े ही शान-शौकत और वैभव के साथ निकलती थी. इस रथयात्रा में सैकड़ों हांथी, घुड़सवार, सेना के जवान, राजा-महाराजा और जागीरदार सब शामिल होते थे. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल माह की द्वितीय तिथि को वहां पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह हर साल रथयात्रा निकलती है. रथयात्रा के दौरान वहां भी भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ मंदिर से बाहर सैर के लिए निकलते हैं. यह अनूठी रथयात्रा पन्ना से शुरू होकर तीसरे दिन जनकपुर पहुंचती है. महाराजा किशोर सिंह के पुत्र हरवंशराय द्वारा जनकपुर में भी भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया था. रथयात्रा के जनकपुर पहुंचने पर यहां के मंदिर को बड़े ही आकर्षक ढंग से सजाया जाता है और मेला भी लगता है.

रेणु अग्रवाल, धार। मध्य प्रदेश के धार जिले में ज्योति मंदिर से भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलभद्र रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकले. र्वप्रथम ज्योति मंदिर के सामने आरती की गई, फिर श्रद्धालुओं ने रथ को खींचा. इस दौरान श्रद्धालु हरे कृष्णा हरे राम की धुन में लीन नजर आए.

भगवान पड़ जाते हैं बीमार

जानकारी के मुताबिक, इस यात्रा का शुभारंभ ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान पूर्णिमा से शुरू हो जाता है. जिसमें भगवान जगन्नाथ मंदिर से बाहर निकलकर भक्ति रस में डूबकर अत्यधिक स्नान कर लेते हैं, जिसकी वजह से भी बीमार हो जाते हैं. 15 दिनों तक जगन्नाथ मंदिर में प्रभु की पूजा अर्चना के साथ दुर्लभ जड़ी बूटियां से बना हुआ काढ़ा तीसरे दिन पांचवें दिन सातवें दिन और दसवें दिन पिलाया जाता है. जिसके बाद भगवान जगन्नाथ को बीमार अवस्था में दर्शन करने पर भक्त जनों को पुण्य लाभ प्राप्त होता है.

स्वस्थ्य होने के बाद जाते हैं मौसी के घर

 स्वास्थ्य ठीक होने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा की साथ तीन अलग-अलग रथ पर सवार होकर अपनी मौसी के घर अर्थात गुंडिचा मंदिर जाते हैं. भगवान जगन्नाथ की इस यात्रा को ही रथयात्रा का नाम दिया गया है. जगन्नाथ के रथ को नदी घोष कहते हैं. बलराम के रथ को ताल ध्वज कहते हैं. बहन सुभद्रा के रथ को देवदलन कहते हैं.

रथ यात्रा पर भगवान जगन्नाथ का नेत्र उत्सव मनाया जाता है. रथ यात्रा के दिन जगन्नाथ मंदिर गायत्री नगर में 11 पंडित भगवान जगन्नाथ का विशेष अभिषेक पूजा और हवन करते हुए रक्त चंदन केसर कस्तूरी और कपूर स्नान के बाद भगवान को गजामूंग का भोग लगाया जाता है.

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