संदीप शर्मा, विदिशा। भारत में विजयदशमी पर्व पर लंकापति रावण के पुतले को जलाकर त्यौहार मनाने की पुरानी परंपरा है। इस परंपरा के विपरीत मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में एक गांव में रावण के पुतले का दहन नहीं बल्कि पूजा अचर्ना की जाती है। गांव में स्थित मंदिर में ग्रामीण उनकी पूजा करते हैं।
विदिशा जिले की नटेरन तहसील के अंतर्गत आने वाले रावण गांव में रावण का एक मंदिर है, जो अति प्राचीन है। ग्रामीण बताते है कि इस गांव में कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी ब्याह या अन्य कार्य प्रारंभ करने के पहले रावण बाबा की पूजा की जाती है। बिना रावण की पूजा गांव में कोई भी व्यक्ति कोई शुभ कार्य नहीं करता है।
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इतना ही नहीं गांव के लोग अपने बाइक, ट्रैक्टर आदि पर जय लंकेश का स्लोगन भी लिखते है। रावण गांव के निवासी ने विदिशा में पान की दुकान खोली है। वह भी लंकेश पान सेंटर के नाम से है। दशहरे के दिन रावण के मंदिर में रावण की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। गांव में किसी के यहां शादी या त्यौहार होता है तो लोग माता पूजन के साथ रावण की भी पूजा करने मंदिर में जरूर जाते हैं।
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