भोपाल। मध्य प्रदेश में मौसम का मिजाज बदल रहा है। एक प्रभावी मौसमी सिस्टम की कमी के कारण बारिश में कमी आई है और हवाओं की दिशा बदलने से दिन और रात के तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। भोपाल सहित कई क्षेत्रों में तापमान में कमी देखी जा रही है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले दिनों में रातें और ठंडी होंगी, जिससे सर्दी का एहसास बढ़ेगा। 11 अक्टूबर को प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्के बादल छाए रह सकते हैं।11 से 13 अक्टूबर तक शुष्क मौसम, 14 से बारिश की संभावना
11 से 13 अक्टूबर तक मौसम ज्यादातर शुष्क रहेगा। हालांकि, 14 अक्टूबर से एक नया मौसमी सिस्टम सक्रिय होने की संभावना है, जिससे कुछ इलाकों में बादल छाने और हल्की बारिश होने के आसार हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून अब तक 15 जिलों से विदा हो चुका है, जिनमें उज्जैन, राजगढ़, अशोकनगर, ग्वालियर, श्योपुर, मुरैना, भिंड, दतिया, शिवपुरी, गुना, आगर-मालवा, नीमच, मंदसौर, और रतलाम शामिल हैं। अगले 24 घंटों में मानसून अन्य हिस्सों से भी विदा होने लगेगा।
मानसून की वापसी और मौसमी सिस्टम
मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी रेखा 20° उत्तर/69° पूर्व, वेरावल, भरूच, उज्जैन, झाँसी, शाहजहाँपुर और 30° उत्तर/81° पूर्व से होकर गुजर रही है। अगले 24 घंटों में गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों से मानसून की वापसी के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ हैं। पश्चिम-मध्य अरब सागर में चक्रवाती तूफान “शक्ति” का अवशेष एक निम्न दाब क्षेत्र के रूप में मौजूद है, जो औसत समुद्र तल से 5.8 किमी की ऊँचाई पर सक्रिय है। यह सिस्टम पूर्व-दक्षिण-पूर्व की ओर बढ़ रहा है और अगले 12 घंटों में कमजोर होकर निम्न दाब क्षेत्र में बदल जाएगा। साथ ही, उत्तर-पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक पश्चिमी विक्षोभ 1.5 से 4.5 किमी की ऊँचाई पर चक्रवाती परिसंचरण के रूप में फैला हुआ है। इन सिस्टमों के कारण हवाएँ उत्तर की ओर मुड़ रही हैं और वायुमंडलीय आर्द्रता कम हो रही है।
मानसून की विदाई में देरी
आमतौर पर मध्य प्रदेश से मानसून 6 अक्टूबर तक विदा हो जाता है, लेकिन इस बार नए मौसमी सिस्टम के कारण देरी हुई। अब अनुकूल परिस्थितियों के साथ 12 से 14 अक्टूबर तक पूरे राज्य से मानसून की वापसी संभव है। इस वर्ष मानसून 16 जून को आया था।
वर्षा का लेखा-जोखा
मध्य प्रदेश में इस मानसून सत्र में 47 इंच बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य 37.2 इंच से 7.8 इंच अधिक है। यह 122% औसत वर्षा है, जबकि पिछले साल यह 44 इंच थी। सबसे अधिक बारिश: गुना (65.6 इंच), मंडला-रायसेन (62 इंच से अधिक), श्योपुर-अशोकनगर (56 इंच से अधिक)।
सबसे कम बारिश: शाजापुर, खरगोन, खंडवा, बड़वानी और धार।
निर्धारित से अधिक बारिश: ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, भिंड, मुरैना, दतिया, श्योपुर।
कोटा पूरा: भोपाल, राजगढ़, रायसेन, विदिशा, अलीराजपुर, बड़वानी, कटनी, नरसिंहपुर, सिवनी, मंडला, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, रतलाम, मंदसौर, नीमच, आगर-मालवा, सतना और उमरिया।
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