कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश का ग्वालियर अब ओलंपियन तैयार करेगा। यहां देश की पहली आर्टिफिशियल कैनों सलालम एकेडमी बनने जा रही है। ग्वालियर शहर से 20 किलोमीटर दूर तिघरा डैम के पास 43 एकड़ जमीन आवंटित कर दी गयी है। इस जमीन पर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट तैयार किया जाएगा। जहां इंटरनेशनल कंपटीशन आयोजित होंगे। आर्टिफिशियल सलालम केवल जापान, पेरिस, पोलैंड और ब्राजील जैसे देशों में ही है। हालांकि इतनी बड़ी सौगात के बीच इस पर सियासत भी शुरू हो गयी है।

संगीत नगरी ग्वालियर से हॉकी के जादूगर कैप्टन रूप सिंह, क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर का गहरा जुड़ाव रहा है। ग्वालियर खेल के क्षेत्र में देश मे अपनी अलग ही पहचान रखता है। ग्वालियर से अलग-अलग खेल क्षेत्र में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं निकली हैं जो प्रदेश, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शहर के साथ-साथ पूरे देश का नाम रोशन कर रही है। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश की मोहन सरकार के खाते में बड़ी सौगात लगी है।

मध्य प्रदेश की पहचान अब देशभर में वॉटर स्पोर्ट्स को लेकर भी होने जा रही है। ग्वालियर से करीब 20 किलोमीटर दूर तिघरा डैम के पास देश का पहला आर्टिफिशियल कैनो सलालम तैयार होने जा रहा है। खेल एवं युवा कल्याण विभाग के इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए बिल्डिंग डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को निर्माण एजेंसी बनाया गया है।

ग्वालियर का तिघरा डैम इस अकादमी के लिए इसलिए चयनित किया गया है क्योंकि यहां साल भर पानी की व्यवस्था रहती है। बांध से सटी अकादमी की चिन्हित जमीन ढलान पर होने से कैनाल के लिए पानी को रिजर्व वायर में लाने की परेशानी नहीं होगी। पानी की रफ्तार कृत्रिम नहर में 16000 लीटर प्रति सेकंड रखी जाएगी। 400 मीटर लंबी कृत्रिम नहर बनेगी जो रेसकोर्स कहलाएगी।

बता दें कि ग्वालियर की बेटी प्राची यादव केनो गेम्स में दुनिया भर में देश का नाम रोशन कर रही है। प्राची ने सोशल मीडिया के जरिये ग्वालियर में देश की पहली आर्टिफिशियल केनो सलालम अकादमी बनने पर खुशी जाहिर कर चुकी है। पैरा केनो प्लेयर प्राची यादव ने न सिर्फ मध्य प्रदेश का बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है।

पैरा केनो गेम्स वर्ल्ड रैंकिंग में प्राची ने दसवां स्थान प्राप्त किया। पिछले साल प्राची को प्रधानमंत्री ने भी बेहतर प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया था। भारत सरकार ने प्राची की इस उपलब्धि को सराहा और राष्ट्रपति ने अर्जुन अवार्ड से नवाज कर उसके हौसले को नई उड़ान भी दी है।

ग्वालियर से बीजेपी सांसद विवेक शेजवलकर ने भी इस उपलब्धि पर खुशी जताई है तो वहीं कांग्रेस के विधायक सतीश सिकरवार का कहना है कि देश के खेलों को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही तिघरा खुद पानी की क्राइसेस से जूझ रहा है। ऐसे में अकादमी का बनना बहुत कठिन होगा।

गौरतलब है कि कैनोइंग पानी पर एक तेज रफ्तार का खेल है। कैनोइंग और कयाकिंग को बर्लिन में 1936 के खेलों के बाद से ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में शुमार किया गया। देश में केवल मध्य प्रदेश के दो और ऋषिकेश ,असम की नदियों में ऐसे प्राकृतिक स्थान हैं जहां तेज बहाव में सलालम किया जाता है। अब देश में पहली बार ऐसा होगा जब आर्टिफिशियल सलालम बनाया जा रहा है। इससे ओलंपिक खेलों के लिए देश के खिलाड़ी इंटरनेशनल मानकों पर तैयारी भी कर सकेंगे। 

खास बातें  

– हॉकी के बाद ग्वालियर अब वाटर स्पोर्ट में भी ओलंपियन तैयार कर सकेगा

– देश की पहली आर्टिफिशियल कैनो सलालम अकादमी के रूप में पहचानी जाएगी

-खेल विभाग की अन्य अकादमियों की तरह खिलाड़ियों के रहने और प्रशिक्षण की आधुनिक व्यवस्था रहेगी।

– इंटरनेशनल इवेंट आयोजन के आधार पर तैयार की जाएगी अकादमी

– 400 मीटर लंबी कृत्रिम नहर बनेगी, जो रेसकोर्स होगी

– आर्टिफिशियल सलालम इंटरनेशनल मानकों के आधार पर ही बनाया जाएगा।

– तिघरा डैम से लाया गया पानी सबसे ऊपर बने स्टिलिंग पॉन्ड में भरा जाएगा।

-18 गेट और हर्डल्स से भरी करीब 400 मीटर लंबी एक कृत्रिम नहर बनेगी,जो रेसकोर्स होगी।

– नहर के आखिर में एक फिनिश पॉन्ड बनेगा।

-फिनिश पॉन्ड में पहुंचे पानी को टेस्टिंग के बाद वापस डेम में छोड़ दिया जाएगा।

-डेम से पंप तक लाए गए पानी की रफ्तार 16 हजार लीटर प्रति सेकंड होगी।  

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