कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। एमपी में यमराज का मंदिर है… सुनने में यह थोड़ा जरूर अजीब लगता होगा पर यह बात बिल्कुल सही है। ग्वालियर में देश का एक मात्र यमराज का मंदिर है जो लगभग 300 साल पुराना है। दीपावली के एक दिन पहले नरक चौदस के दिन यहां यमराज की पूजा के साथ उनकी मूर्ति का अभिषेक किया जाता है। साथ ही यमराज से मन्नत मांगी जाती है, कि वह उन्हें अंतिम दौर में कष्ट न दें।

‘बाबू-सोना’ लापता होने पर मालकिन ने छोड़ा खाना-पीना: शहर में लगवाए पोस्टर, ढूंढ कर लाने वाले को इनाम देने का ऐलान

आइए जानते हैं क्या है मान्यता

ग्वालियर शहर के बीचों-बीच फूलबाग पर मार्कण्डेश्वर मंदिर में है। यही यमराज की प्रतिमा स्थापित है। यमराज के इस मंदिर की स्थापना सिंधिया वंश के राजाओं ने लगभग 300 साल पहले करवाई थी। यमराज की नरक चौदस पर पूजा अर्चना करने को लेकर पौराणिक कथा है। यमराज ने जब भगवान शिव की तपस्या की थी तो प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यमराज को वरदान दिया था कि आज से तुम हमारे गण माने जाओगे और दीपावली से एक दिन पहले नरक चौदस पर जो भी तुम्हारी पूजा और अभिषेक करेगा उसे जब सांसारिक कर्म से मुक्ति मिलेगी उसके के बाद उसकी आत्मा को कम से कम यातनाएं सहनी होंगी। साथ ही उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। तभी से नरक चौदस पर यमराज की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।

ख़ास तरीके से की जाती है पूजा

यमराज की पूजा-अर्चना भी ख़ास तरीके से की जाती है। पूजा के साथ ही यहां दीप दान किया जाता है। मान्यता है कि आज के दिन यमराज की पूजा करने से कष्टों का निवारण होता है। साथ ही उम्र के अंतिम दौर में होने वाले कष्टों-परेशानियों से निजात मिलती है। यही वजह है कि दूर-दूर से लोग आज के दिन ग्वालियर पहुंचते हैं और यमराज की पूजा-अर्चना करते हैं। वहीं यम चतुर्दशी को जन्म लेने वाले लोग तो आज के दिन यमराज के दरबार में जरूर मत्था टेकने आते हैं।

MP में मामा-भांजे की गजब तकरार: अकेले थाने पहुंचा ढाई साल का बच्चा, TI से बोला-मुझे न्योता खाने नहीं ले जाता, मामा को जेल में डाल दो…

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus