दीपक सोहले, बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले को ‘एक जिला-एक उत्पाद’ के तहत चयनित किया गया है, न केवल इससे उत्पन्न होने वाले फल का बल्कि रेशा का भी भरपूर उपयोग हो रहा है। इन रेशों से कई तरह के रोजमर्रा के वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है। हाल ही में महिलाओं ने टोपी बनाई है, यह टोपी लंदन तक पहुंच चुकी हैं। अब लंदन से महिलाओं को 10 टोपी का ऑर्डर मिला है, यही वजह है कि जिला प्रशासन ने एक आयोजन के जरिए केला फसल को इंटरनेशनल स्तर तक पहुंचाया है।

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बुरहानपुर जिले में 25 हजार हेक्टेयर में केला फसल लगाई गई है। बुरहानपुर में तैयार केला, देश ही नहीं बल्कि बाकी के देशों में सप्लाई हो रहा है। केले की मिष्टास ने विदेशों तक जादू बिखेरा हैं, यही नहीं अब केले के रेशों से बने उत्पादों की डिमांड भी विदेशों तक पहुंच गई है। यहां की बनाई टोपी ने लंदन तक अपनी पहचान बनाई है। रेशे की टोपियाँ व्यक्ति को धूप से बचाने के अलावा उन्हें स्टाइलिश लुक भी देती है। इस टोपी को बनाने में 1100 से 1200 रुपए की लागत लगती हैं। जबकि यह टोपी स्टाइलिश होने के कारण महंगे दामों में बिकती है।

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इस टोपी को पूरा परिवार मिलकर बनाता है। दरअसल बुरहानपुर जिले के शाहपुर क्षेत्र के एकझिरा गांव निवासी स्व. सहायता समूह अनुसुईया चौहान के द्वारा बनाई गई टोपी को लंदन में पसंद किया है। अब लंदन से 10 टोपियों का आर्डर आया है। इस काम से अनुसईया के जीवन में बदलाव आया है, इस काम से मिलने वाली राशि से परिवार की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है।

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