मोसीम तड़वी बुरहानपुर। एमपी का लाल और बीएसएफ का जवान जम्मू कश्मीर में मां भारती की सेवा करते हुए शहीद हो गया। ड्यूटी के दौरान जवान विपिन खर्चे हादसे के शिकार हो गए थे, जिससे उसकी जान चली गई। शहीद विपिन खर्चे का पार्थिक शरीर महू से एम्बुलेंस से रात 2 बजे बुरहानपुर के शनवारा पहुंचा। जहां परिवार के सदस्यों ने नम आंखों से शहीद को श्रद्धांजलि दी। शहीद विपिन खर्चे का पार्थिक शरीर तिरंगे में लिपटा हुआ था।
शहीद विपिन के बचपन से लेकर बीएसएफ में भर्ती होने तक की पढ़ाई नेपानगर में हुई। जब विपिन खर्चे 12 वीं में थे तभी 18 साल की उम्र में बीएसएफ ज्वाइन कर ली थी। शहीद विपिन का बचपन नेपानगर की गलियों में गुजरा। विपिन के परिवार में मां इन्दु बाई खर्चे और पत्नी रूपाली खर्चे और दो बच्चे स्वरा 09 साल, आरो 05 साल है। विपिन के पिता की 4 साल पहले ही मृत्यु हो चुकी है। परिवार में सबसे बड़ा और घर का एक मात्र सहारा विपिन था। उसकी मौत की खबर ने सबको झकझोर दिया।
विपिन की ड्यूटी के दौरान हुई मौत के खबर सुनते ही पूरा परिवार सदमे में आ गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था और गांव में मातम पसर गया। विपिन का बचपन भले नेपानगर में गुजरा हो लेकिन उनका पुश्तैनी मकान महाराष्ट के नीमखेड़ी में है। शहीद विपिन का पार्थिव शरीर एम्बुलेंस से बुरहानपुर पहुंचा, जिसके बाद पार्थिक शरीर को उनके पुश्तैनी गांव नीमखेड़ी में पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
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