रायपुर.आगामी खरीफ फसलों की उत्पादन लागत और उनका न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के लिये कृषि लागत एवं मूल्य आयोग, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. विजय पाल शर्मा की अध्यक्षता में पूर्व क्षेत्र के राज्यों की क्षेत्रीय बैठक आज कृषि महाविद्यालय, रायपुर के संगोष्ठी कक्ष में आयोजित की गई। इस बैठक में छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखण्ड, बिहार एवं पश्चिम बंगाल सरकार के कृषि तथा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, कृषि विश्वविद्यालयों के अधिकारी और वैज्ञानिक तथा किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने फसल उत्पादन लागत तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण के संबंध में विचार व्यक्त करते हुए खरीफ मौसम 2018-19 में प्रमुख फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी किये जाने की मांग रखी। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अध्यक्ष प्रो. शर्मा ने उनकी मांगों एवं सुझावों पर गंभीरतापूर्वक विचार किये जाने का आश्वासन दिया। बैठक में छत्तीसगढ़ शासन के कृषि उत्पादन आयुक्त  सुनील कुजूर भी उपस्थित थे।

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अध्यक्ष ने बैठक में कहा कि भारत सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत दिलाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है ताकि इससे कम कीमत में कृषि उत्पादों की खरीदी ना हो। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षाें से फसलों की उत्पादन लागत बढ़ रही है और उत्पादकता में उस अनुपात में वृद्धि नहीं हो रही है जिसके कारण किसानों द्वारा समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करते समय उत्पादन लागत के साथ-साथ कई अन्य कारकों पर भी ध्यान देना पड़ता है जिनमें मांग एवं आपूर्ति, अंतर्देशीय तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में फसल की कीमत, फसल उत्पादन में विभिन्न फसलों  का संतुलन और संसाधनों का प्रभावी उपयोग आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि खेती को लाभकारी बनाने के लिए उत्पादकता बढ़ानी होगी, उत्पादन लागत में कमी लानी होगी और उत्पादन के पश्चात होने वाले नुकसान को कम करना होगा।

कृषि उत्पादन आयुक्त सुनील कुजूर ने छत्तीसगढ़ में पहली बार क्षेत्रीय बैठक के आयोजन के लिए कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने बैठक में शामिल होने वाले सभी राज्यों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि बैठक में प्राप्त सुझावों एवं अनुशंसाओं के आधार पर आगामी खरीफ मौसम की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जायेगा,जिससे छत्तीसगढ़ राज्य और यहां के किसानों को लाभ मिलेगा। राज्य योजना आयोग के सदस्य डॉ. डी.के. मरोठिया ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए क्लस्टर फार्मिंग तथा समुदाय आधारित खेती जैसे नवाचारी कदम उठाये गये हैं, जिसका यहां के किसानों को लाभ मिल रहा है।

बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य के प्रतिनिधि मण्डल ने उत्पादन लागत में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए आगामी खरीफ मौसम में प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि किये जाने की मांग की। उन्होंने धान का समर्थन मूल्य 1550 रूपये से बढ़ाकर 2250 रूपये, मक्के का समर्थन मूल्य 1425 रूपये से बढ़ाकर 1550 रूपये, अरहर का समर्थन मूल्य 5450 रूपये से बढ़ाकर 6700 रूपये, उड़द का 5400 रूपये से बढ़ाकर 6700 रूपये, मूंगफली का समर्थन मूल्य 4450 रूपये से बढ़ाकर 5700 रूपये और सोयाबीन का समर्थन मूल्य 3050 रूपये से बढ़ाकर 3400 रूपये करने का प्रस्ताव रखा। अन्य राज्यों के प्रतिनिधि मण्डल ने भी न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा किये जाने की मांग की। बैठक में शामिल किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करते समय किसानो के श्रम एवं समय के मूल्य का न्यायसंगत मूल्यांकन किये जाने का अनुरोध किया।
बैठक में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग नई दिल्ली के सलाहकार  डी.के. पाण्डेय, छत्तीसगढ़ बीज निगम के प्रबंध संचालक आलोक अवस्थी, कृषक प्रशिक्षण संस्थान के संचालक एस.आर. वर्मा, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव जी.के. निर्माम, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. एस.एस. राव, सहित राज्य शासन के अनेक वरिष्ठ अधिकारी तथा किसान संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।