पटना । बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही प्रदेश की सियासत में सरगर्मी तेज होती जा रही है। अब एक बार फिर वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी सुर्खियों में हैं। चर्चा जोरों पर है कि वे महागठबंधन को बड़ा झटका देने की तैयारी में हैं और एनडीए में वापसी का रास्ता अपना सकते हैं। इसके पीछे दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं पहला, सहनी ने महागठबंधन से 60 सीटों की मांग की है, और दूसरा, उन्होंने हाल ही में आयोजित महागठबंधन की महत्वपूर्ण बैठक से दूरी बना ली।

सहनी इसमें शामिल नहीं हुए

30 जुलाई को विपक्षी गठबंधन की छठी बैठक तेजस्वी यादव के आवास पर हुई, जिसमें कांग्रेस, वाम दल और अन्य सहयोगी दलों के नेता शामिल हुए। लेकिन मुकेश सहनी इसमें शामिल नहीं हुए, बल्कि वे दिल्ली चले गए। हालांकि वीआईपी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष बालगोविंद बिंद बैठक में मौजूद रहे।

राजनीति में नया मोड़ ला दिया

इस बीच एनडीए में शामिल ‘हम’ पार्टी के अध्यक्ष और मंत्री संतोष मांझी ने सहनी को एक बार फिर एनडीए में शामिल होने का खुला न्योता देकर राजनीतिक हलचल और तेज कर दी है। मांझी के इस बयान ने सूबे की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है।

डिप्टी सीएम पद की भी मांग

सूत्रों के अनुसार, मुकेश सहनी की मांगें लगातार बढ़ती जा रही हैं। 60 सीटों के बाद अब वे डिप्टी सीएम पद की भी मांग कर रहे हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर उन्हें डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया, तो तेजस्वी यादव भी मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे। यह बयान महागठबंधन के भीतर मतभेदों की ओर इशारा करता है।

महागठबंधन से किनारा कर लिया था

गौरतलब है कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भी मुकेश सहनी ने ऐन वक्त पर महागठबंधन से किनारा कर लिया था और एनडीए के साथ चले गए थे। उस समय बीजेपी ने उन्हें अपने कोटे से 11 सीटें दी थीं, जिनमें से वीआईपी के चार विधायक जीते थे और सहनी स्वयं मंत्री बने थे। हालांकि, उत्तर प्रदेश चुनाव में उतरने के कारण उन्हें भारी नुकसान हुआ और एनडीए से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसके बाद उनके तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे।

एनडीए का दामन थाम लेंगे?

अब जब चुनावी मौसम फिर से बन रहा है सवाल उठ रहा है क्या इतिहास खुद को दोहराएगा? क्या मुकेश सहनी फिर से महागठबंधन को झटका देकर एनडीए का दामन थाम लेंगे? फिलहाल सबकी निगाहें उनके अगले कदम पर टिकी हैं।