मनोज यादव, कोरबा। छत्तीसगढ़ होमगार्ड में सेवा देने वाली महिला पुलिस कर्मियों को अब तक अधिकतम 13 हजार के मानदेय से काम चलाना पड़ रहा है. उन्हें सरकारी कार्यालय से लेकर माइनिंग बैरियर एसईसीएल कोयला खदान के साथ-साथ प्रशासनिक कार्यों के सिलसिले में रायपुर और पेंड्रा का चक्कर लगाना पड़ रहा है. महंगाई के दौर में कम वेतन और इसके बावजूद क्षेत्रों यात्रा अपने खर्च से करने के कारण यह वर्ग परेशान है. इसी चक्कर में एक योगेंद्र सिंह की हादसे में मौत हो गई. सरकारी काम से रायपुर कोरबा लौटने के दौरान हुए हादसे में सांसे थम गई.
इस घटना को लेकर स्थानीय नगर सैनिकों ने जिला कार्यालय परिसर के पास शोकसभा की आंख अपने पूर्व साथी के प्रति संवेदना जताई. उन्होंने नगर सैनिकों से अनुचित तरीके से काम लेने पर आपत्ति दर्ज कराने के साथ कई सवाल भी खड़े किए.
इसके साथ यह भी मांग की कि हादसों में मृतक के परिजनों को राहत राशि के रूप में 10 लाख की राशि तत्काल देने की व्यवस्था की जाए और बाहर ड्यूटी लगाए जाने संबंधी नियम को रद्द किया जाए. इस मामले के लिए आक्रोशित नगर सैनिकों को जिला सेनानी और अन्य अधिकारियों ने अपने स्तर पर समझाइश दी. इससे पहले उनके साथ कुछ देर तक बातचीत भी होती रही.
बता दें कि नगर सैनिकों ने अपनी कई मांगों को लेकर पिछले दिनों जिला और प्रदेश स्तर पर प्रदर्शन किया था. उन्हें उम्मीद थी कि सरकार उनकी मांगों को स्वीकृत करेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. देखना होगा कि योगेंद्र सिंह के परिजनों को 10 लाख दिलाने की मांग की जा रही हैं उस दिशा में होमगार्ड के उच्च अधिकारी और विभाग कार्रवाई करता है.
नगर सेनानियों का आंदोलन की सूचना पर कोरबा एसडीएम सुनील नायक और संभागीय सेनानी एस एस ठाकुर मौके पर पहुंचे, जहां आंदोलन पर बैठे नगर सेनानी के जवानों को समझाया और 15 दिन का समय मांगा है जिस पर विचार कर मांग पूरी की जा सके.