लक्षिका साहू की रिपोर्ट-

2019 के निकाय चुनाव में सभी नगर निगमों में जीत हासिल करने वाली कांग्रेस के लिए 2025 का चुनाव कैसा रहने वाला है ? अबकी बार निकाय चुनाव में क्या पार्टी की क्या रणनीति है ? आखिर कहां-कहां पर पार्टी चुनाव से पहले ही हार गई ? क्या कांग्रेस के बड़े नेता एकजुट नहीं हैं ? ऐसे ही कई सवालों पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने लल्लूराम डॉट कॉम से खास-बातचीत में क्या कुछ कहा पढ़िए.

9 फरवरी को चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है. कांग्रेस की स्थिति क्या ?

हम रोड-शो,पदयात्रा और घर-घर जा कर लोगों तक पहूंच रहे हैं. हमारे क्षेत्र में अच्छी स्थिति है. अंबिकापुर, चिरमिरी और कोरबा में हमारी जीत की पूरी संभावना है. रायगढ़ की भी स्थिति अच्छी है लेकिन आख़िरी के दिनों में धन-बल का प्रयोग होता है. परिणाम अपने पक्ष में करने का बीजेपी पूरा ज़ोर लगाएगी. दिल्ली का चुनाव हमने देखा, केजरीवाल जैसे मुख्यमंत्री ख़ुद हार जाते हैं. ये बिना मशीन के गड़बड़ियों के संभव नहीं है. दस साल में उन्होंने आम जानता के लिए काम किया था लेकिन कैसे बुरी तरह से हारे. कांग्रेस ने संबंध भी तोड़ दिए थे और विरोध में प्रचार भी किया. कांग्रेस के पक्ष में नतीजे नहीं आये इसका दुख है. लेकिन पूरा परिणाम वोटिंग मशीन के गड़बड़ी से हुआ है. महाराष्ट्र का चुनाव उदाहरण है कि कैसे अचानक वहां वोटर बढ़ गये और परिणाम उनके पक्ष में आया. यहां भी मशीन से चुनाव कराया जा रहा है. कही ऐसा परिणाम यहां भी न आ जाए.

धमतरी में कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन रद्द होना, बसना में अध्यक्ष प्रत्याशी का नामांकन वापस लेना, कई वार्डों में भी बीजेपी को वॉकओवर मिला है. क्या कांग्रेस से कोई रणनीतिक चूक हो गई ?

पार्टी में समस्या नहीं है. फॉर्म ग़लत होना भी समस्या नहीं है लेकिन बीजेपी ने कोरबा, बारद्वार, कटघोरा में पार्षद को बाहुबल और धनबल के सहारे बैठाया है. कई स्थानों में उन्होंने जीत हासिल की है, ये हमारा आरोप नहीं है सच्चाई है. बीजेपी को लोकतंत्र को मज़ाक़ नहीं बनाना चाहिए. बीजेपी को पक्ष-विपक्ष में चुनाव की प्रक्रिया को जारी रहने देना चाहिए. लेकिन अब मशीन आ गया है. हमें ईवीएम पर विश्वास नहीं है लेकिन चुनाव तो होगा और परिणाम स्वीकार भी करना पड़ेगा.

बागियों को मैनेज नहीं कर पाने से पार्टी को कितना नुकसान है ?

नाराज़गी और ग़ुस्सा बीजेपी कांग्रेस दोनों में है, ख़ुशी इस बात की है कि सरकार नहीं होने के बाद भी कई लोगो ने टिकट की दावेदारी की है. टिकट एक को ही मिलनी है इसलिए नाराज़गी स्वाभाविक है. हमारे यहां टिकट की मांग करने वालों की संख्या बेहतर रही है, इसी से जीत सुनिश्चित लग रही है अब परिणाम से ये साबित होगा.

भाजपा कह रही है कि बघेल, सिंहदेव और महंत एक नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं के बीच फूट पड़ चुकी है.

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू सहित कई नेता कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व है. आने वाले समय में और भी नाम इसमें शामिल होंगे. सामूहिक नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव लड़ती है. टीएस सिंहदेव के क्षेत्र में उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात हमने कही थी. बयान को ग़लत तरीक़े से प्रस्तुत किया गया है. बीजेपी को पहले बयान पूरा सुन लेना चाहिए उसके बाद ही कुछ कहना चाहिए.