सत्या राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नगर निगम की लापरवाही से लगातार हादसे हो रहे। हीरापुर-जरवाय क्षेत्र में एक प्राइवेट बिल्डर के निर्माण स्थल पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई। 8 वर्षीय आलोक और 10 वर्षीय सत्यम खेलते-खेलते 30 फीट गहरे खुले गड्ढे में गिर पड़े, जहां बरसाती पानी भरे होने से दोनों की जान चली गई। घटना के बाद आक्रोशित परिजनों और स्थानीय लोगों ने रिंग रोड-3 पर चक्काजाम कर दिया था, जिससे 3 किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लगा, लेकिन इस हादसे में सबसे बड़ा सवाल उठ रहा कि इस मामले में महापौर मीनल चौबे और निगम प्रशासन क्यों चुप्पी साध लिया है। मृतक के घर न तो महापौर पहुंचीं और न ही कोई विधायक। निगम के नेता प्रतिपक्ष आकाश तिवारी ने इसे नगर निगम की ‘क्रॉनिक लापरवाही’ बताते हुए बिल्डर और दोषी अधिकारियों पर तत्काल कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
घटना रविवार देर शाम की है, जब दोनों भाई खेलते हुए निर्माण स्थल के पास पहुंचे। बिल्डर ने भवन अनुमति के बावजूद गड्ढे को ढकने या चेतावनी चिन्ह लगाने की जहमत नहीं उठाई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जोन कमिश्नर को कई पत्र दिए गए। पार्षद संदीप साहू ने भी शिकायत की पर निगम ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की।
निगम के नेता प्रतिपक्ष आकाश तिवारी ने सोमवार को घटना स्थल का निरीक्षण किया, जहां मुरूम, मिट्टी, गिट्टी और रेत के ढेरों के बीच गड्ढा खुला पड़ा मिला। उन्होंने कहा, इससे पहले भी इस गड्ढे में गिरकर एक दर्जन से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है। इसकी शिकायत के बाद भी निगम के अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। निगम अधिकारी गरीबों के ठेले-गुमटी पर 24 घंटे कार्रवाई के लिए सतर्क रहते हैं, लेकिन बिल्डरों की लापरवाही पर सो जाते हैं। क्या यह संयोग है कि सितंबर 2023 में लाखेनगर में दो बच्चों की डूबने से मौत हुई और अप्रैल 2025 में रामनगर गुलमोहर पार्क में निगम के गड्ढे में 7 वर्षीय दिव्यांग बच्चे की जान गई। ये पूर्व की घटनाओं को अनदेखा करने का नतीजा है।

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क्या निगम केवल नोटिस जारी कर कर्तव्य निभा लेता है : नेता प्रतिपक्ष
तिवारी ने महापौर मीनल चौबे को घेरते हुए सवाल दागा। उन्होंने कहा, अब तक मृतक परिवार के घर न महापौर पहुंचीं, न विधायक। क्या निगम केवल नोटिस जारी कर कर्तव्य निभा लेता है? बिल्डरों को अनुमति देते समय सुरक्षा मानकों का पालन क्यों नहीं करवाया जाता? यह निगम की मिलीभगत है। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि बिल्डर और निगम के जोनल अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज हो। साथ ही दोषी अधिकारियों को निलंबित कर सख्त सजा दी जाए। आकाश तिवारी ने मृतक परिवारों को 15-15 लाख के चेक देने की बिल्डर की पेशकश को ‘दुत्कार’ बताते हुए कहा, पैसे से जिंदगियां नहीं लौटेंगी। हमें ऐसी घटनाओं पर स्थायी अंकुश लगाना होगा, वरना भविष्य में और मासूमों की बलि चढ़ेगी।
निगम आयुक्त ने कहा – निरीक्षण बढ़ाया जाएगा
कबीर नगर पुलिस ने बिल्डर के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जिलाधिकारी ने मुआवजे पर विचार करने की बात कही, लेकिन तिवारी ने इसे आंखों में धूल झोंकना बताया है। इस मामले में निगम आयुक्त ने कहा कि निरीक्षण बढ़ाया जाएगा, लेकिन विपक्ष इसे बयानबाजी करार दे रहा है।
गड्ढे में गिरकर कई मवेशियों की हो चुकी है मौत
यह घटना रायपुर नगर निगम की सुरक्षा प्रबंधन पर सवाल खड़े करती है। विपक्ष ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने का ऐलान किया है। क्या निगम और महापौर इस दर्द को समझेंगे या फिर एक और ट्रेजडी का इंतजार करेंगे? शहरवासी जवाब मांग रहे हैं। बता दें कि इससे पहले भी इस गड्ढे में गिरकर कई मवेशियों की मौत हो चुकी है। इसकी शिकायत नगर निगम से करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
बिल्डर को नोटिस दिया जाएगा : महापौर
इस घटना पर महापौर मीनल चौबे ने कहा, इसमें कार्रवाई होनी चाहिए। शासन को कार्रवाई करने की जरूरत है। निर्माण कार्य के लिए निगम से अनुमति ली गई है। प्राइवेट बिल्डर के कारण क्षेत्र में घटना हुई है। दिखने में वो गड्ढा नहीं लग रहा है डबरा जैसा है। बिल्डर को नोटिस दिया जाएगा।

