नीलम राज शर्मा,पन्ना। उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में बीएससी की पढ़ाई करने गया छात्र वापस नहीं लौटा। दो साल बाद पुलिस ने उसे मृत घोषित कर दिया। मौत का खुलासा डीएनए टेस्ट में हुआ। बीएसपी के छात्र के पुलिस कस्टडी से गायब होने के मामले को लेकर कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर चिंता जाहिर की थी।

जानकारी के अनुसार एमपी के पन्ना जिले के बड़गड़ी गांव के शिव कुमार त्रिवेदी को पिता ने पढ़ाई के लिए बीएचयू वाराणसी भेजा था। 13 फरवरी 2020 को शिव बीएचयू से अचानक गायब हो गया। बताया जाता है कि वाराणसी की लंका थाना पुलिस ने उसे पकड़ा और थाने ले गई थी। उसके बाद कोई जानकारी नहीं मिली। पिता को जैसे ही जानकारी मिली वे यूपी वाराणसी गए और लंका थाने में जाकर पता किया। वहां उसे संतोषजनक जवाब पुलिस द्वारा नहीं दिया गया।उन्होंने वाराणसी कलेक्टर एसपी से गुहार लगाई। शिव का कोई पता नहीं चला।

थक हार कर पिता ने 19 अगस्त 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई। जिसके बाद सीआईडी को जांच सौंप दी गई।अदालत में इस केस को लेकर वाराणसी के तत्कालीन पुलिस कप्तान अमित पाठक तक को पेश होना पड़ा। तमाम जांच के बाद पुलिस ने ये स्वीकार कर लिया है कि शिव को लंका थाना पुलिस द्वारा लाया गया था। जांच में यह भी पता चला कि शिव के लापता होने के 3 दिन बाद वाराणसी के जमुना तालाब में जो अज्ञात शव मिला, वो शिव का ही था। शव की पहचान डीएनए और बिसरा की जांच से हुई।

अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि शिव ने अगर आत्महत्या की है। तो उसने लंका थाने से निकलने के बाद 5-6 किलोमीटर दूर तालाब में ऐसा क्यों किया? जबकि 1 किलोमीटर दूर गंगा का पुल मौजूद था। दूसरा ये कि ऐसा क्या हुआ कि कैंपस में घूमता शिव अचानक थाने से निकलने के बाद मृत मिला। साथ ही क्या शिव की मानसिक स्थिति सही नहीं थी।अगर हां तो पुलिस ने अपनी कस्टडी से बिना बीएचयू प्रबंधन को सूचना दिए क्यों छोड़ा? हालांकि शिव के पिता प्रदीप त्रिवेदी ने मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। क्योंकि शिव की मौत के मामले में अभी कई राज खुलने बाकी है। जिसमें जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों की कार्यप्रणाली की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

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