Murshidabad Violence: पश्चिम बंगाल (West Bengal Violence) के मुर्शिदाबाद समेत कई जिलों में वक्फ कानून (Waqf Law) के खिलाफ भड़की हिंसा ने गंभीर रूप ले लिया है। मुर्शिदाबाद सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है। यहां भड़की इस हिंसा में अबतक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग घायल हैं। हालात इतने बिगड़ गए कि पुलिस को बीएसएफ की मदद लेनी पड़ रही है। जबकि हिंदू परिवारों (Hindu families) को अपना घर छोड़कर स्कूलों और दूसरे जिलों में शरण लेनी पड़ रही है। मुर्शिदाबाद समेत चार जिलों में इंटरनेट सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं मामले में अबतक 150 लोगों की गिरफ्तारी की गई है।
इधर सोमवार को मुर्शिदाबाद जिले के हिंसा प्रभावित इलाकों, मुख्य रूप से सुती, समसेरगंज, धुलियान और जंगीपुर में स्थिति शांतिपूर्ण और नियंत्रण में रही। हिंसा प्रभावित इलाकों में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू है। प्रभावित इलाकों में इंटरनेट बंद है। हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद के साथ-साथ जंगीपुर, मालदा और बीरभूम के कुछ हिस्सों में भी मंगलवार (15 अप्रैल) रात 10 बजे तक इंटनेट की सेवाओं पर रोक लगाई गई है। सुरक्षा बल मुख्य सड़कों पर वाहनों की जांच कर रहे हैं।
मुर्शिदाबाद में 1,600 जवानों को तैनात किया गया है। वहीं, जिले के धूलियान से 500 से अधिक हिंदुओं ने पलायन कर मालदा में शरण ली है। हिंसा प्रभावित लोगों ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग की है। हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान तीन लोगों की मौत के सिलसिले में 12 और लोगों को गिरफ्तार किया गया है। धूलियान से पलायन करने वाले हिंदुओं ने नदी पार मालदा के लालपुर हाईस्कूल, देवनापुर-सोवापुर जीपी, बैष्णबनगर में शरण ली है।
लोगों ने कहा, उनके घरों में आग लगा दी गई। महिलाओं से अभद्रता की, घर खाली करने की धमकी देते हुए परिवार के पुरुष सदस्यों को पीटा गया। एक फार्मेसी संचालक ने बताया, उन्होंने 50 साल में ऐसी हिंसा नहीं देखी। इस बीच बीएसएफ के डीआईजी नीलोत्पल कुमार पांडे ने कहा, मुर्शिदाबाद में स्थिति तनावपूर्ण, पर नियंत्रण में है। सुती व शमशेरगंज में 9 कंपनियां तैनात की गई हैं।
फरक्का तक पहुंची हिंसा…
शमशेरगंज के बाद अब पड़ोसी क्षेत्र फरक्का में भी सांप्रदायिक तनाव फैल गया। रविवार को वक्फ कानून के विरोध में महादेव नगर में बमबाजी हुई। जवाब में दूसरा पक्ष हथियारों के साथ जमा हाे गया। बड़ी संख्या में पुलिस बल ने मौके पर पहुंचकर स्थिति नियंत्रण में की। वहीं, हिंसा के बाद शमशेरगंज थाना प्रभारी को हटा दिया गया है।
मुर्शिदाबाद में वक्फ की करीब 4,500 संपत्तियां
वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित है। खास बात यह है कि यहां वक्फ की करीब 4,500 संपत्तियां हैं। प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि इसमें अधिकांश हिस्सा कृषि भूमि है। यह लगभग एक लाख एकड़ के आसपास होगी। आरोप है कि स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली लोगों ने उनमें से 550 संपत्ति पर कब्जा कर लिया है।
किसी भी कार्रवाई के लिए सुरक्षा बल तैयार: राज्यपाल
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि राजभवन मुर्शिदाबाद और अन्य हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति पर नजर बनाए हुए है। इसको लेकर मुख्यमंत्री से भी बातचीत हो रही है। भारत सरकार, गृह मंत्रालय प्रभावी तरीके से नजर रखे हुए हैं। बीएसएफ और स्थानीय पुलिस समेत कानून प्रवर्तन अधिकारियों से रिपोर्ट एकत्र की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘गृह मंत्रालय ने पर्याप्त संख्या में केंद्रीय बलों की तैनाती की है और किसी भी कार्रवाई के लिए सुरक्षा बल तैयार हैं. बीएसएफ की 9 कंपनियां वहां हैं। CRPF और RAF तैयार हैं। राज्य पुलिस और केंद्रीय बल मैदान में सक्रिय हैं।
मुर्शिदाबाद से हिंदू परिवारों ने किया पलायन: शुभेंदु अधिकारी
पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि मुर्शिदाबाद के सुती, समसेरगंज, जंगीपुर, धुलियान और फरक्का समेत अन्य क्षेत्रों से हाल ही में कई हिंदू परिवारों ने पलायन किया है और वो पड़ोसी जिलों में शरण लिए हुए हैं। उन्होंने X पर लिखा, ‘जो लोग बाहर नहीं जा पाए, वे अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनके घरों को लूट लिया गया है और तोड़फोड़ की गई है। यहां तक कि उनके पीने के पानी के कुओं को भी जहरीला कर दिया गया है. कुछ लोग बीएसएफ कर्मियों की सहायता से अपने घरों में वापस आ गए हैं।
बंगाल में लगे राष्ट्रपति शासन: नेता प्रतिपक्ष
पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बंगाल में हिंदुओं को सताया जा रहा है, उनके पास रहने के लिए घर नहीं है। राज्य में चुनाव से पहले हम राष्ट्रपति शासन की मांग करते हैं। अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन के अंदर चुनाव कराना चाहिए। बिना राष्ट्रपति शासन के बंगाल में निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव नहीं हो सकता है।
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