Mushroom Farming Story: बीकॉम पास कोलकाता निवासी सुषमा गुप्ता की शादी वर्ष 2005 में रफीगंज प्रखंड के कर्मा मसूद गांव निवासी मृत्युंजय प्रसाद (Mushroom Farming Story ) के साथ हुई थी. मृत्युंजय के दो भाई पहले से ही कहीं बाहर नौकरी करते हैं, इसलिए आर्थिक तंगी के चलते वह विदेश जाकर रोजगार तलाशना ( Mushroom farming ) चाहते थे। इसी बीच उनकी पत्नी सुषमा गुप्ता ने मशरूम की खेती शुरू कर दी। अब पति-पत्नी घर बैठे लाखों रुपये कमा रहे हैं। कृषि में अपनी मेहनत और लगन से सुषमा पूरे जिले के लिए मिसाल बन गई हैं।

ऐसे आया मशरूम की खेती का आइडिया- Mushroom cultivation training

सुषमा ने बताया कि शादी के बाद पति को आवंटित जमीन पर वह कई मौसमी फलों और सब्जियों की खेती करती थी. 2012 में उन्होंने मशरूम की खेती के बारे में सुना। समझा जाता है कि होटल, रेस्टोरेंट और शादी समारोह में इसकी मांग रहती है। इस दौरान उन्हें पता चला कि औरंगाबाद जिले के सिरिस में कृषि विज्ञान केंद्र है। वहां मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है। फिर हमने मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लिया।

मशरूम की खेती की शुरुआत घर की बालकनी से की

2015 में पहली बार घर की बालकनी में मशरूम की खेती शुरू की। अब यह 10 से 20 हजार रुपए प्रति माह कमा रहे हैं। उसी पैसे से बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ तमाम काम भी हो रहे हैं।

सुषमा गुप्ता ने बताया कि उन्हें मशरूम का बीज राजगीर से मिलता है। कुट्टी और पुआल गांव से ही खरीदकर मशरूम का उत्पादन करते हैं और अंधेरे घर में उपज के लिए पॉलिथीन के जार बनाते हैं। एक महीने में मशरूम खाने के लिए तैयार हो जाते हैं। बिक्री के लिए स्थानीय बाजार में ले जाया जाता था।

3 डेसीमल में मशरूम की खेती

सुषमा के मुताबिक अब लोग फार्म हाउस पर ही मशरूम खरीदने आते हैं. उसके पास महज 3 डिसमिल जमीन है, जिस पर वह घर बनाकर मशरूम की खेती कर रही है। कहीं और भी जमीन खरीदने के बारे में सोचा है, लेकिन फिलहाल इस धंधे में सिर्फ 5 सदस्य ही जुड़े हैं।

Mushroom farming
Mushroom farming

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus