मुंबई. दिग्गज संगीतकार एआर रहमान की प्रतिभा दुनिया के सामने आने से पहले उनके जीवन में एक समय ऐसा भी था जब वह खुद को असफल मानते थे और लगभग हर दिन खुदकुशी के बारे में सोचा करते थे.
ऑस्कर विजेता संगीतकार रहमान ने कहा, ‘उनके कॅरियर के शुरुआती दिनों में बुरे दौर ने उन्हें मजबूत बनाने में मदद की. 25 साल तक मैं खुदकुशी करने के बारे में सोचता था. हम में से ज्यादातर महसूस करते हैं कि यह अच्छा नहीं है. क्योंकि मेरे पिता की मौत हो गई थी तो एक तरह का खालीपन था. कई सारी चीजें हो रही थीं. इन सब चीजों ने मुझे और अधिक निडर बना दिया.’
रहमान ने ‘नोट्स ऑफ ए ड्रीम: द आथराइज्ड बायोग्राफी ऑफ एआर रहमान’ में अपने मुश्किल दिनों और अन्य घटनाओं के बारे में बात की. इस किताब को कृष्ण त्रिलोक ने लिखा है. पुस्तक का विमोचन शनिवार को किया गया. चेन्नई में जन्में इस संगीतकार ने कहा, ‘नोट्स ऑफ ए ड्रीम’ मेरे लिए एक यात्रा रही है, जिसने मेरे जीवन के उन पलों को ताजा किया है, जो मेरे लिए विशेष रहे हैं.
त्रिलोक के साथ व्यावहारिक बातचीत ने मेरे रचनात्मक और व्यक्तिगत जीवन के कुछ हिस्सों को उजागर किया है, जिसके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते हैं. 1992 में आई मणि रत्नम की फिल्म ‘रोजा’ से कॅरियर की शुरुआत करने वाले रहमान इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्हें छह बार राष्ट्रीय पुरस्कार, 15 बार फिल्म फेयर अवार्ड के अलावा ऑस्कर, गोल्डन ग्लोब, ग्रैमी और बाफ्टा अवार्ड भी मिल चुका है. उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी नवाजा गया.