दिल्ली। पूरे देश में कोरोना वायरस के कहर को रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन का ऐलान किया है। इस दौरान ऐसी कहानियां सामने आ रही हैं जो इंसानियत में लोगों का भरोसा मजबूत कर रही हैं।
पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कुछ लोगों ने अपने काम से पेश की। यहां नब्बे साल के बुजुर्ग की मौत के बाद उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने मजहब की दीवार को बीच में नहीं आने दिया। लॉकडाउन में रिश्तेदारों का पहुंचना नामुमकिन था तो हिंदू शख्स के अंतिम संस्कार के लिए मुसलमान पड़ोसी आगे आए और अपना फर्ज निभाया। मुसलमान पड़ोसियों ने न सिर्फ मृतक बिनय साहा के पार्थिव शरीर को कंधा दिया बल्कि अंतिम समय बोले जाने वाले शब्दों, राम नाम सत्य है का उदघोष करके पूरी हिंदू परंपरा से अंतिम यात्रा निकाली।
मुस्लिम पड़ोसियों ने अपने कंधे पर मृतक का शरीर रखकर 15 किलोमीटर दूर शमशान तक पहुंचाया और सभी कर्मकांड पूरे कराए। मृतक के बेटे ने कहाकि, हमारे पिता की मौत के बाद हम परेशान थे कि लॉकडाउन के दौरान उनका अंतिम संस्कार कैसे करेंगे लेकिन हमारे पड़ोसियों ने हमारा साथ दिया और हमारे घर के सदस्यों की तरह आगे आकर फर्ज निभाए। हम उनके ऋणी रहेंगे। वहीं मुस्लिम पड़ोसियों ने कहा कि ये हमारा फर्ज था और हमें सुकून है कि हम अपने पड़ोसी के काम आ सके।