प्रदेश में इस वक्त सरसों की खरीदी का समय है. लेकिन किसानों को बारदानों की कमी का बहाना बताकर उनसे सरसों नहीं खरीदी जा रही है. बोरियों की किल्लत का बहाना बनाकर मंडियों तक पहुंचे किसानों को रोका जा रहा है. लेकिन बारदानों की ये शॉर्टेज केवल किसानों के लिए है. जबकि रसूखदारों के पास खुद अधिकारी ही बारदाने पहुंचा रहे हैं.
दरअसल, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ से के घर पर सरसो की खरीद का मामला सामने आया है. उनके घर में बने गोदाम में 80 से ज्यादा सरकारी बोरियों में सरसों भरी रखी हुई थी. दूसरी ओर क्षेत्र के किसानों को बारदानों की कमी का बहाना बताया जा रहा है. राजगढ़ मंडी में कई किसानों को ये कहकर उनसे सरसों नहीं खरीदी जा रही है कि वहां बोरों की शॉर्टेज है.
जानकारी के मुताबक विधायक के घर में सरकारी बोरो में सरसों की तौलाई हो रही थी. वहां 4-5 लोग बोरियों में सरसों भर रहे थे. दावा किया जा रहा है कि ये बोरियां सरकार हैं क्योंकि इनमें मैनुफैक्चर्ड इन इंडिया लिखा हुआ है. मौके पर मौजूद लोगों का कहना था कि ये सरसों उनकी ही है. लेकिन सरकारी बारदाने को लेकर उनके पास कोई जवाब नहीं था. वहीं अधिकारी इस मामले में विधायक को बचाने में लगे हैं. मंडी प्रभारी का कहना है कि मेरी जानकारी में विधायक के घर में ऐसा कुछ नहीं है. उसने विधायक के घर से सरकारी बारदान में सरसों की खरीद होने की जानकारी होने से इनकार कर दिया.
पूरे मामले पर विधायक जौहरी लाल मीना का कहना है कि मेरे साथ षड़यंत्र किया जा रहा है. पहले भी मुझे और मेरे बेटे को फंसाया गया था. अब सरकारी खरीद मेरे घर पर होने की बात भी षड्यंत्र से प्रेरित है. इसमें सच्चाई नहीं है. मेरा अनाज है. घर पर हमने बोरियां भरी हैं. सरकारी बारदाना होने की बात गलत है.