मुजफ्फरपुर। शहर में 200 से अधिक मोबाइल सिम खुदरा विक्रेताओं और वितरकों पर जाली पहचान पत्रों के आधार पर सिम कार्ड जारी करने का गंभीर आरोप लगा है। इन सिम कार्डो का इस्तेमाल कथित तौर पर साइबर ठगी अवैध शराब कारोबार और संदिग्ध नक्सली संचार में होने की आशंका जताई गई है। 2022 से दर्ज कई एफआईआर के बावजूद स्थानीय पुलिस ठोस कार्रवाई नही कर सकी जिसके बाद राज्य पुलिस मुख्यालय ने मामले को CBI को सौंपने की सिफारिश की है।
आधार कार्ड में हेराफेरी का खुलासा
बिहार एसटीएफ की जांच में सामने आया कि सिम प्रदाता कथित रूप से आधार डेटा में बदलाव कर कनेक्शन जारी कर रहे थे। करीब 200 विक्रेताओं के विरुद्ध मामले दर्ज है परंतु प्रक्रिया लंबित है। जांच रिपोर्ट के अनुसार सिवान के एक कम्युनिकेशन सेंटर ने मुजफ्फरपुर के फर्जी पते का इस्तेमाल कर 50 से अधिक सिम सक्रिय किए।
अन्य जिलों में भी मामले दर्ज
गोपालगंज, सीतामढ़ी और दरभंगा पुलिस ने भी शिकायतों के आधार पर अतिरिक्त केस दर्ज किए है। रिकॉर्ड में सामने आया कि इन नंबरों का उपयोग साइबर फ्रॉड और संगठित अपराध नियंत्रण के लिए किया गया। कुछ सिम के नक्सल कनेक्शन की आशंका भी जताई गई हालांकि आधिकारिक पुष्टि नही हुई है। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों को केस फाइल और साक्ष्य लॉग अपडेट रखने के निर्देश दिए है। सूत्रों के मुताबिक CBI टीमें किसी भी समय जांच शुरू कर सकती है।
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