भारत के पड़ोसी देशों में हाल ही में कई भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. आज, 29 मार्च को, अफगानिस्तान में सुबह 5:16 बजे भूकंप आया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.7 मापी गई. इससे पहले, म्यांमार में भी आधी रात को भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे वहां के लोगों में भय का माहौल बन गया. यह भूकंप 28 मार्च को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के बाद का एक और झटका है, जिसने म्यांमार और थाइलैंड में व्यापक नुकसान पहुंचाया था. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, नवीनतम भूकंप 10 किलोमीटर की गहराई पर आया, जिससे क्षेत्र में और झटकों की संभावना बनी हुई है.

अफगानिस्तान में भूकंप

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, अफगानिस्तान में भूकंप सुबह लगभग 5.16 बजे 180 किलोमीटर की गहराई पर आया. रिक्टर स्केल पर 4.7 की तीव्रता को मध्यम श्रेणी का भूकंप माना जाता है, जो सामान्यतः हल्के झटके उत्पन्न करता है और मामूली नुकसान की संभावना रखता है. हालांकि, अभी तक अफगानिस्तान से किसी बड़े नुकसान या हताहत की सूचना नहीं मिली है. यह क्षेत्र भूकंपीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है, क्योंकि यह हिंदूकुश पर्वत श्रृंखला के निकट स्थित है, जो टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों का केंद्र है.

भूकंप के कारण हुई जनहानि, घायलों की संख्या और अन्य नुकसान का अभी तक संपूर्ण आकलन नहीं किया जा सका है, विशेषकर म्यांमार में, जो विश्व के सबसे गरीब देशों में से एक माना जाता है. यह देश गृहयुद्ध की चपेट में है और यहां सैन्य शासन के चलते सूचना पर कड़ा नियंत्रण लागू है. म्यांमार के सैन्य नेता सीनियर जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने एक टेलीविजन संबोधन में कहा कि मृतकों और घायलों की संख्या में वृद्धि की संभावना है. उन्होंने बताया कि देश में कम से कम 144 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 730 अन्य घायल हुए हैं.

म्यांमार में आधी रात का झटका

म्यांमार में 28 मार्च को दोपहर 12:50 बजे (स्थानीय समय) 7.7 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप आया, जिसके बाद क्षेत्र में लगातार आफ्टरशॉक्स महसूस किए जा रहे हैं. आधी रात को आए ताजा झटके की तीव्रता 4.2 से 4.4 के बीच मापी गई, जैसा कि नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) ने बताया. यह भूकंप म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र के निकट केंद्रित था, जहां पहले दिन का मुख्य भूकंप भी आया था. इस नए झटके ने पहले से ही भयभीत लोगों को और अधिक चिंतित कर दिया, जिससे कई लोग अपने घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे.

भूकंप की वजह

म्यांमार में आए भूकंप का प्रमुख कारण सागाइंग फॉल्ट है, जो देश के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में से एक माना जाता है. यह फॉल्ट लगभग 1200 किलोमीटर तक फैली हुई है और बर्मा प्लेट तथा सुंडा प्लेट के बीच की टेक्टोनिक गतिविधियों का परिणाम है. विशेषज्ञों के अनुसार, 28 मार्च को आया 7.7 तीव्रता का भूकंप स्ट्राइक-स्लिप फॉल्टिंग के कारण हुआ, जिसमें टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे के खिलाफ क्षैतिज रूप से खिसकती हैं. इस बड़े भूकंप के बाद छोटे आफ्टरशॉक्स का आना सामान्य प्रक्रिया है, क्योंकि धरती के भीतर का तनाव धीरे-धीरे संतुलित होता है. आधी रात का झटका भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा माना जा रहा है. दूसरी ओर, अफगानिस्तान में भूकंप हिंदूकुश क्षेत्र में भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टकराव के कारण हुआ, जो भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है और यहां समय-समय पर ऐसे झटके महसूस किए जाते हैं.

म्यांमार में पहले भूकंप का असर

28 मार्च को म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने व्यापक तबाही फैलाई. म्यांमार के सैन्य प्रशासन के अनुसार, इस आपदा में कम से कम 144 लोगों की जान गई और 732 से अधिक लोग घायल हुए. भूकंप का केंद्र मांडले शहर के निकट था, जो म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, और इसकी गहराई केवल 10 किलोमीटर थी, जिससे सतह पर तीव्र झटके महसूस किए गए. पड़ोसी देश थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी एक निर्माणाधीन इमारत गिर गई, जिसमें 9 लोगों की मृत्यु हुई. म्यांमार में सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं, इमारतें गिर गईं, और कई क्षेत्रों में बिजली और संचार सेवाएं ठप हो गईं. सैन्य सरकार ने छह क्षेत्रों में आपातकाल की स्थिति घोषित की और अंतरराष्ट्रीय सहायता की मांग की है.

वर्तमान स्थिति

म्यांमार में राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं, लेकिन सैन्य संघर्ष और खराब बुनियादी ढांचे के कारण यह प्रक्रिया कठिनाई का सामना कर रही है. अस्पतालों में घायलों की संख्या बढ़ती जा रही है, और कई लोग मलबे में फंसे हो सकते हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार को हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है. वहीं, अफगानिस्तान में स्थिति का मूल्यांकन जारी है, और वहां से अभी तक किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं मिली है. भूकंप के लगातार झटकों ने क्षेत्र में चिंता को बढ़ा दिया है, और विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में और आफ्टरशॉक्स की संभावना है. लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी जा रही है.

भारत के पश्चिम बंगाल और मणिपुर में भूकंप के झटके अनुभव किए गए. बांग्लादेश में भी 7.3 की तीव्रता वाले भूकंप के बाद हल्के झटके महसूस हुए. इस भूकंप और उसके बाद के आफ्टरशॉक्स ने पूरे क्षेत्र में चिंता और घबराहट का माहौल उत्पन्न कर दिया.

म्यांमार के सागाइंग से 16 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.7 मापी गई. भूकंप का केंद्र 22.01 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 95.92 डिग्री पूर्वी देशांतर पर सतह से 10.0 किलोमीटर की गहराई में स्थित था. इसके झटके थाईलैंड के साथ-साथ बंगलादेश, भारत, लाओस और चीन जैसे पांच पड़ोसी देशों में भी अनुभव किए गए.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को म्यांमार और थाईलैंड में आए भूकंप के कारण उत्पन्न संकट पर अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि इस कठिन समय में भारत दोनों देशों को हर संभव सहायता देने के लिए तत्पर है. भारत ने वहां राहत सामग्री भी भेजी है.

म्यांमार को राहत सामग्री भेज रहा भारत

भारत ने म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप के बाद राहत कार्यों के लिए 15 टन सामग्री भेजी है. भारतीय वायुसेना का सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान हिंडन एयरफोर्स स्टेशन से इस सामग्री के साथ म्यांमार के लिए उड़ान भरा. इस राहत सामग्री में टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, तैयार भोजन, जल शुद्धिकरण उपकरण, स्वच्छता किट, सौर लैंप, जनरेटर सेट और आवश्यक दवाएं जैसे पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक्स, कैनुला, सीरिंज, दस्ताने, सूती पट्टियाँ और मूत्र बैग शामिल हैं. इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार में राहत और बचाव कार्यों के लिए 5 मिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की है.

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, म्यांमार में शुक्रवार से अब तक छह भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की प्रवक्ता मार्गरेट हैरिस ने एक मीडिया ब्रीफिंग में जानकारी दी कि उन्होंने अपने लॉजिस्टिक्स हब को सक्रिय कर दिया है, ताकि विशेष रूप से आघात संबंधी सामग्री और बाहरी फिक्सेटर जैसी आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था की जा सके, क्योंकि उन्हें आशंका है कि कई लोग घायल हुए होंगे, जिनका उपचार आवश्यक होगा.