गोपाल नायक, खरसिया– खरसिया विधानसभा के ग्राम बड़े डूमरपाली में कागजों में माध्यमिक शाला संचालित कर मध्यान्ह भोजन का चावल गबन मामले में आज तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई है. आरोपियों पर कार्रवाई को लेकर गांव के बसंत डड़सेना ने 19 मार्च को उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल से लिखित शिकायत की है. शिकायत के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने खरसिया विकासखंड के खंड शिक्षा अधिकारी को इस संबंध में कार्यवाही किए जाने पत्र लिखा है.

दरअसल, पूरा मामला 2007 का है. बड़े डूमरपाली में लोगों की आंखों में धूल झोंक कर 82 बच्चों के मध्यान्ह भोजन पर डाका डाला गया. और इसे गांव के उपसरपंच शरद डड़सेना ने शातिर अंदाज में अंजाम दिया. केवल कागजों में ही माध्यमिक शाला, मध्यान्ह भोजन का संचालन वर्षों तक किया. इसकी शिकायत ग्रामीणों ने अधिकारियों से की, लेकिन राजनीतिक रसूख के चलते अधिकारियों ने जांच नहीं की. कई अधिकारी आए और चले गए, लेकिन दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई.

ऐसे हुआ खुलासा

2007 में जनपद पंचायत सदस्य ने खंड शिक्षा अधिकारी से खरसिया विकासखंड में संचालित हो रहे माध्यमिक शाला की सूची चाही गई.  बताया गया कि बड़े डूमरपाली में भी संचालित हो रहा है. गांव वालों को यह जानकारी नहीं थी कि उनके गांव में माध्यमिक शाला भी संचालित हो रहा है. जबकि बच्चे अन्य गांव के माध्यमिक शाला में पढ़ाई करने जाते थे. फिर कागजों में संचालित हो रहे स्कूल की खोजबीन शुरू हो गई.

कौन हैं शरद डड़सेना

बड़े डूमरपाली क्षेत्र में शरद डड़सेना उपसरपंच व भाजपा के दबंग नेता के रूप में पहचाने जाते हैं. अपने राजनीतिक पहुंच के कारण माध्यमिक शाला का संचालन इनके निवास स्थान पर 2007 से लेकर 2011 तक बिना कोई व्यवधान के कागजों में संचालन होता रहा. इतना ही नहीं तथाकथित स्कूल में 82 बच्चों ने भी इस अवधि में लगातार अध्ययन भी किया. जिसके कारण मध्यान्ह भोजन भी सुचारू रूप से चलता रहा. प्राथमिक शाला के पास शासन से भवन निर्माण की राशि भी स्विकृत हो गया और भवन भी निर्माण हो गया.

जांच अधिकारी का गोल मोल जवाब

2011 में आदिवासी विभाग में पद स्थापना के दौरान जिला शिक्षा अधिकारी राधेश्याम शर्मा को जांच की जिम्मेवारी मिली थी. राधेश्याम शर्मा ने बताया कि 87 क्विंटल चावल फर्जी तौर पर मध्यान्ह भोजन फर्जी स्कूल में चलाए जाने की बात सामने आई थी. खपत चावल को सरपंच व उपसरपंच द्वारा दिखाया गया था, जिसमें से मेरे द्वारा 40 क्विंटल चावल 2011 में वसूल कर प्रधान पाठक के सुपुर्द नामा में दिया गया था. यदि चावल की वसूली नहीं हो पाता है तो आपराधिक प्रकरण उपरोक्त व्यक्तियों पर नियमानुसार किया जाएगा.

शासन-प्रशासन की कछुआ चाल

2007 से 2011 तक शिकायत के साथ ही अखबारों में सुर्खियां बनी. प्रशासन ने उपसरपंच शरद डड़सेना से केवल कुछ वसूली दिखाकर गोल गोल जवाब देते चले आ रहे हैं. शासन की महत्वपूर्ण योजना पर कालिख पोतने वाले जिम्मेदार अधिकारी जांच के लिए मिली जिम्मेदारी को सालों लग गए. अब आरोपियों पर क्या होगी यह समय ही बताएगा.