रायपुर. नाग पंचमी का पर्व 29 जुलाई को (Nagpanchami Kab hai 2025) शिव एवं प्रजापति योग में मनाया जाएगा. इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र भी विद्यमान रहेगी जो काफी शुभफलदायक है. इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती हैं. जानकारों के अनुसार इस दिन नाग देवता की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 8.51 से 1.46 मिनट तक सबसे उत्तम माना गया है.


Nagpanchami Story
पौराणिक कथानुसार जब सर्पों की संख्या ज्यादा होकर उनके द्वारा कुटिलता पूर्वक मनुष्यों को शिकार बनाया जाने लगा तो उन्होंने ब्रह्मा से मिलकर इस समस्या को दूर करने का अनुनय, विनय किया. तब ब्रह्मा ने उन्हें आश्वस्त कर सपों को शाप कि तुम्हारी मां के शाप से तुम लोग अग्नि कुण्ड में भस्म हो जाओगे, जब सर्पों को इसकी जानकारी प्राप्त हुई तो वे ब्रह्मा की शरण में गए तब सर्पों को पाताल लोक में जाने और बिना कारण प्रजा को परेशान न करने की सलाह दी गई. उस दिन पंचमी तिथि थी तथा वैवस्वत मन्वंतर में सर्पों की मां के शाप के कारण जनमेजय के सर्प यज्ञ में असंख्य सर्पों की आहुति के पश्चात आस्तिक मुनि के द्वारा राजा जनमेजय से वर प्राप्त कर सर्पों को बचाया गया, तथा यज्ञ कुंड में दूध डाल दिया गया’ उस दिन भी पंचमी तिथि थी, इस कारण ही श्रवण शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में घर, खेत, खलिहान, मंदिर, तालाब आदि किनारों में नागदेव के लिए लाई, दूध रखा जाता हैं. इस दिन अनेक व्यायाम शालाओं में कुश्ती आदि का भी आयोजन किया जाता है.
काल सर्प दोष दूर करने करे दूध से अभिषेक
आचार्य के अनुसार जिनकी कुंडली में काल सर्प दोष हों उनको नागपंचमी के दिन सर्प की और शिव की दूध से अभिषेक करनी चाहिए, जिससे दोष का निवारण होता है.
पूजा विधि
नागपंचमी के दिन दरवाजे पर, तुलसी चौरा पर गोबर से नांग की आकृति बनाकर या सोने, चांदी, पीतल, तांबे की मूर्ति की अक्षत, दूबी, फूल, धूप दीप से पूजा कर नाग देवता को दूध, चने की सत्तू, लाई आदि निवेदन कर निम्न श्लोक से प्रार्थना करनी चाहिए… अनंत वासुकी शेषम पद्म नाभम च कम्बलं शंख पाल धृतराष्ट्र च तक्षकं कालियम तथा ए तानि नव नामानि नागानाम च महात्मानम’ सायं काले पठे नित्यम प्रातः काले विशेषतः तस्य विष भयम नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत.