शिवम मिश्रा, रायपुर। बहुचर्चित नान (नागर‍िक आपूर्ति निगम) घोटाले मामले में पूर्व मुख्य सचिव और रिटायर्ड IAS अधिकारी आलोक शुक्ला आज तीसरी बार ED की विशेष कोर्ट में सरेंडर के लिए पहुंचे। जहां सरेंडर आवेदन स्वीकार होने के बाद ED ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा की भी जल्द गिरफ्तारी होने की संभावना है।

सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों को ED रिमांड पर सौंपेगी। ED ने कोर्ट में 28 दिन का रिमांड आवेदन भी दायर किया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक इस मामले में पूरी कार्रवाई विधिवत तरीके से होगी।

ईडी के वकील सौरभ पांडे ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि आलोक शुक्ला आज कोर्ट में सरेंडर करने पहुँचे हैं। आलोक शुक्ला उस वक्त नान के चेयरमैन थे। नागरिक आपूर्ति निगम में अनिल टुटेजा भी सचिव के पद पर थे। अनिल टुटेजा की भी संलिप्तता नान घोटाले में पाई गई थी। चूंकि अनिल टुटेजा पूर्व से जेल में हैं, इसलिए आज सुबह न्यायालय में प्रोडक्शन वारंट का आवेदन किया गया था। अनिल टुटेजा को कोर्ट में पेश किया जाएगा। सभी को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है जमानत याचिका

बहुचर्चित नान घोटाला केस में डॉ. शुक्ला और अनिल टुटेजा को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, दोनों अधिकारियों को पहले दो हफ्ते ईडी की कस्टडी में रहना होगा। उसके बाद दो हफ्ते न्यायिक हिरासत में रहना होगा। इसके बाद ही उन्हें जमानत मिल सकेगी।

अदालत ने यह भी कहा कि आरोपियों ने 2015 में दर्ज नान घोटाला मामले और ईडी की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी। सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका के खारिज होने के दूसरे ही दिन यानी 18 सितंबर को ईडी की टीम ने डॉ. आलोक शुक्ला के भिलाई के तालपुरी स्थित घर में दबिश दी थी। उस दौरान डॉ. आलोक शुक्ला ED की स्पेशल कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचे, लेकिन कोर्ट ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अपलोड नहीं होने का हवाला देते हुए सरेंडर करने से रोक दिया था। इसके अगले दिन यानी 19 सितंबर को उनके सरेंडर आवेदन पर आज यानी 22 सितंबर तक के लिए सुनवाई टाल दी गई थी।

भूपेश सरकार में मिली पॉवरफुल पोस्टिंग

गौरतलब है कि नान घोटाला का जब खुलासा हुआ था तो आलोक शुक्ला खाद्य विभाग के सचिव थे। उन्हें भी इस मामले में आरोपी बनाया गया था और दिसंबर 2018 को उनके खिलाफ कोर्ट में EOW ने चार्जशीट पेश की थी। इसके बाद 2019 को आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिली गई थी। जमानत मिलने के बाद दोनों अफसरों को कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में पॉवरफुल पोस्टिंग मिली। इस पोस्टिंग के दौरान EOW की नान घोटाले की जांच को प्रभावित करने का आरोप दोनों अफसरों पर लगा था। इसी मामले में पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ भी ईडी ने एफआईआर की थी। हालांकि सतीश चंद्र वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है।

जानिए क्या है नान घोटाला

नान घोटाला फरवरी 2015 में सामने आया था, जब ACB/EOW ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करने वाली नोडल एजेंसी नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) के 25 परिसरों पर एक साथ छापे मारे थे। छापे के दौरान कुल 3.64 करोड़ रुपए नकद जब्त किए गए थे। छापे के दौरान एकत्र किए गए चावल और नमक के कई नमूनों की गुणवत्ता की जांच की गई थी, जो घटिया और मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त थे। आरोप था कि राइस मिलों से लाखों क्विंटल घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपए की रिश्वत ली गई। चावल के भंडारण और परिवहन में भी भ्रष्टाचार किया गया। शुरुआत में शिव शंकर भट्ट सहित 27 लोगों के खिलाफ मामला चला। बाद में निगम के तत्कालीन अध्यक्ष और एमडी का नाम भी आरोपियों की सूची में शामिल हो गया। इस मामले में दो IAS अफसर भी आरोपी हैं। मामला अदालत में चल रहा है।

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