प्रदीप मालवीय, उज्जैन। नागपंचमी के अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य शिखर के तीसरे खंड पर स्थित भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर के पट सोमवार मध्यरात्रि खोले गए। यहां सबसे पहले महाकालेश्वर मंदिर स्थित श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से त्रिकाल पूजन किया गया। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। यहां मध्यप्रदेश मंत्री मोहन यादव और कमल पटेल ने भी नागचंद्रेश्वर भगवान का अभिषेक किया। यह मंदिर वर्ष में केवल एक बार नागपंचमी पर्व पर ही खोला जाता है। सिर्फ इसी दिन मंदिर की दुर्लभ एवं आलौकिक प्रतिमा के दर्शन आम श्रद्धालुओं को होते है ।

नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए सोमवार देर शाम 7 बजे से ही श्रद्धालुओं की कतार लग गई थी। अब मंदिर के पट श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु 24 घंटे तक खुले रहेंगे। इस दौरान लाखों श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने का अनुमान है। भारतीय पंचांग तिथि अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन ही मंदिर के पट खुलने की परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है । महानिर्वाणी अखाड़ा की और से रात 12 बजे पूजन करने के बाद मंदिर में आम श्रद्धालुओं के दर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया । इसके लिए हजारों दर्शनार्थी चारधाम मंदिर की और लाइन में खड़े हो चुके थे। इस बार मंदिर प्रशासन द्वारा नागचंद्रेश्वर मंदिर तक नया 100 करोड़ की लागत से अस्थाई ब्रिज बनाया गया है, जिससे दर्शन के बाद श्रद्धालुओं को बाहर जाने में भी आसानी रहेगी। यही कारण है कि चारधाम मंदिर से लाइन में लगने के बाद करीब एक घंटे में ही आम लोगों को दर्शन हो रहे है। भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन का सिलसिला मंगलवार को रात 12 बजे तक सतत चलेगा ।

महाकाल मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा में फन फैलाए हुए नाग के आसन पर शिव जी के साथ देवी पार्वती बैठी है। संभवत: दुनिया में ये एक मात्र ऐसी प्रतिमा है, जिसमें शिव जी नाग शैय्या पर विराजित है । इस मंदिर में शिवजी, माँ पार्वती, श्रीगणेश जी के साथ ही फन फैलाए सप्तमुखी नाग देव है । साथ में दोनों के वाहन नंदी और सिंह भी विराजित है । इस प्रतिमा में शिव जी के गले और भुजाओं में भी नाग लिपटे हुए है ।

श्री महाकालेश्वर मंदिर का शिखर तीन खंडों में बंटा है । इसमें सबसे नीचे गृभगृह में भगवान महाकालेश्वर, दूसरे खंड में ओंकारेश्वर और तीसरे खंड में नागचन्द्रेश्वर भगवान का मंदिर है। यह मंदिर अतिप्राचीन है । माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। बताया जाता है कि इस दुर्लभ प्रतिमा को नेपाल से लाकर मंदिर में स्थापित की गई थी ।

नागपंचमी के अवसर पर मंगलवार को दोपहर 12 बजे शासकीय पूजा होगी। इसमें जिला प्रशासन एवं मंदिर प्रशासन के अधिकारी (आशीष सिंह कलेक्टर और सत्येंद्र कुमार शुक्ल एसपी ) सहित अन्य लोग मौजूद रहेंगे। वहीं बाबा महाकाल की सायं आरती के बाद मंदिर प्रबंध समिति द्वारा नागचंद्रेश्वर का पूजन किया जाएगा।

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