
नागपुर में हुई हिंसा के बाद पुलिस अब इसमें शामिल व्यक्तियों की जांच कर रही है. इस जांच के दौरान साइबर सेल को कई ऐसे सबूत मिले हैं जो इस हिंसा के पीछे बांग्लादेश की संलिप्तता का संकेत देते हैं. साइबर सेल ने एक फेसबुक अकाउंट की पहचान की है, जो बांग्लादेश से संचालित हो रहा था और जिसने नागपुर में दंगे भड़काने की धमकी दी थी. पुलिस के अनुसार, यह पोस्ट एक बांग्लादेशी उपयोगकर्ता द्वारा की गई थी, जिसमें उसने कहा था कि हाल के दंगे केवल एक छोटी घटना थे और भविष्य में और बड़े दंगे होंगे. पुलिस अब इस फेसबुक अकाउंट की गहन जांच कर रही है और यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इसे कौन संचालित कर रहा था. साइबर सेल की प्रारंभिक जांच से यह भी स्पष्ट हुआ है कि अकाउंट का संचालक बांग्लादेश का निवासी है और उसने यह संदेश बांग्लादेश से ही पोस्ट किया था.
बुधवार तक 6 FIR दर्ज की गई थीं, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 10 हो गई है. हाल ही में दर्ज की गई 4 FIR सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक वीडियो साझा करने, भड़काने और उकसाने के मामलों से संबंधित हैं. नागपुर पुलिस की साइबर सेल ने एक फेसबुक अकाउंट की पहचान की है, जो बांग्लादेश से संचालित हो रहा है और जिसने नागपुर में बड़े पैमाने पर दंगे भड़काने की धमकी दी थी.
यह विवादास्पद पोस्ट एक बांग्लादेशी उपयोगकर्ता द्वारा साझा की गई थी, जिसमें उसने कहा कि सोमवार का दंगा केवल एक मामूली घटना थी और भविष्य में और भी बड़े दंगों की संभावना है. जांच में यह स्पष्ट हुआ कि इस अकाउंट का संचालन बांग्लादेश में रहने वाले व्यक्ति द्वारा किया जा रहा था और यह संदेश भी बांग्लादेश से ही पोस्ट किया गया था. साइबर सेल ने फेसबुक से इस अकाउंट को बंद करने की मांग की है.
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सोशल मीडिया पर अफवाहों की बाढ़
सोशल मीडिया का उपयोग केवल नफरत फैलाने के लिए नहीं, बल्कि अफवाहों के प्रसार के लिए भी किया जा रहा है. पिछले दो दिनों में कई पोस्ट्स में यह दावा किया गया कि दंगों में घायल हुए दो व्यक्तियों की अस्पताल में मृत्यु हो गई है, जबकि यह जानकारी पूरी तरह से गलत है.
साइबर सेल ने अब तक 97 ऐसे पोस्ट्स की पहचान की है जो गलत जानकारी फैला रहे थे. उन्होंने जनता से अनुरोध किया है कि वे सोशल मीडिया पर किसी भी असत्यापित जानकारी पर विश्वास न करें और अफवाहों के प्रसार से बचें.
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200 की पहचान, 90 गिरफ्तार
नागपुर शहर की पुलिस ने हिंसा में शामिल व्यक्तियों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए 18 विशेष जांच टीमों (एसआईटी) का गठन किया है. पुलिस ने अब तक 200 लोगों की पहचान कर ली है और अन्य 1,000 संदिग्धों की पहचान करने में लगी हुई है, जो हिंसा के दौरान सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दिए थे. विशेष टीमें इन फुटेज और अन्य साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही हैं, और अब तक 90 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. उल्लेखनीय है कि नागपुर में हुई हिंसा के बाद से दो दिनों से कर्फ्यू लागू है, और गुरुवार को सुरक्षा की समीक्षा के बाद कर्फ्यू में ढील दी जा सकती है.
जलाई गई चादर पर कुछ नहीं था!
औरंगजेब के पुतले पर रखी हरी चादर पर लिखे गए शब्दों को समझने के लिए मौलाना और विशेषज्ञों की सहायता ली गई. इसी प्रकार की एक अन्य चादर को भी विशेषज्ञों और धार्मिक नेताओं के समक्ष प्रस्तुत किया गया. जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि चादर पर कोई धार्मिक शब्द या वाक्य नहीं था.
पुलिस ने मास्टरमाइंड फहीम शमीम खान सहित कुल 84 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है. जबकि बुधवार को महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री योगेश कदम ने गिरफ्तारियों की संख्या 69 बताई थी. इनमें आठ विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकर्ता भी शामिल हैं. 19 आरोपियों को 21 मार्च तक पुलिस हिरासत में रखा गया है. फहीम पर 500 से अधिक दंगाइयों को एकत्रित करने और हिंसा को भड़काने का आरोप लगाया गया है.
आरोपी फहीम खान ने नागपुर हिंसा में अपनी भूमिका के तहत भड़काऊ वीडियो को संपादित किया था. साइबर डीसीपी लोहित माटानी के अनुसार, फहीम ने औरंगजेब के खिलाफ हुए प्रदर्शन का वीडियो संपादित कर उसे सोशल मीडिया पर प्रसारित किया, जिससे स्थिति बिगड़ गई और हिंसा का माहौल उत्पन्न हुआ. इसके अलावा, उसने हिंसात्मक वीडियो का प्रचार भी किया.
फडणवीस बोले- चादर पर कुरान की आयत नहीं थी, अफवाह फैलाई गई
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में स्पष्ट किया कि जलाई गई चादर पर कुरान की कोई आयत नहीं थी और इस विषय पर अफवाहें फैलाई गई हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस और उनके बयान में कोई भिन्नता नहीं है और जानबूझकर हिंसा फैलाने का प्रयास किया गया है. उन्होंने आश्वासन दिया कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और पुलिस पर हमले करने वालों को सजा मिलेगी. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग छिपे हुए हैं, उन्हें कानून के दायरे में लाया जाएगा.
औरंगजेब पर कैसे शुरू हुआ पूरा विवाद…
सपा विधायक अबू आजमी के बयान ने विवाद को जन्म दिया, जिसमें उन्होंने 3 मार्च को कहा कि औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं माना जाना चाहिए. उनका तर्क था कि हमें गलत इतिहास प्रस्तुत किया जा रहा है और औरंगजेब ने कई मंदिरों का निर्माण कराया. आजमी ने यह भी कहा कि यदि कोई यह मानता है कि यह संघर्ष हिंदू और मुसलमानों के बीच था, तो वह इस पर विश्वास नहीं करते. उनके इस बयान के बाद उन पर शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा. विवाद के बढ़ने पर, 4 मार्च को आजमी ने अपने बयान को वापस लेते हुए कहा कि उनके शब्दों को गलत तरीके से पेश किया गया है और यदि किसी को उनकी बात से ठेस पहुंची है, तो वे अपना बयान वापस लेते हैं.
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