नितिन नामदेव, रायपुर। शरीर के प्रति ममत्व के विस्पन का नाम संथारा है. यह बात आचार्य श्री महाश्रमण जी के शिष्य मुनिश्री सुधाकर ने रायपुर के टैगोर नगर स्थित श्री लाल गंगा पटवा भवन में गतिमान चातुर्मासिक प्रवास अंतर्गत रविवार को 86 वर्षीय शांति देवी बैद के उनसे ग्रहण किए अनशन व्रत अर्थात संथारा प्रत्याखान के विषय में कही, जिसे मुनिश्री ने उन्हें आचार्य श्री महाश्रमण जी की अनापत्ति के पश्चात कराया. इसे भी पढ़ें : डेंगू से बस्तर संभाग में पहली मौत, डॉक्टर की बेटी की मौत को दबाने में जुटा रहा स्वास्थ्य विभाग…
विशाल जनमेदनी के मध्य परिवारजनों की अनुमति व संघीय संस्थाओं के सम् उपस्थित पदाधिकारियों की साक्षी से मुनिश्री सुधाकर जी द्वारा णमोत्थुणं एवं गुरु मंत्र करते हुए शांति देवी बैद को पच्चखान कराया गया.
मुनिश्री ने कहा अनशन व्रत के पथ पर आगे बढ़ना सचमुच सच्ची वीरता का परिचय है. एक आत्मयोद्धा ही इस पथ पर आगे बढ़ सकता है. 31 वर्षों से निरंतर तप करना अपने आपमें अमित आत्मबल का परिचय है. गुरुदेव की अनुकम्पा से वें अपना इच्छित लक्ष्य प्राप्त करें, ऐसी कामना करता हूं. श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, रायपुर अध्यक्ष गौतम गोलछा ने आचार्य प्रवर के संदेश का वाचन किया. सम्पूर्ण समाज ने संथारा साधिका के प्रति मंगल भावना व्यक्त की.
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