गरियाबंद. मैनपुर ब्लॉक के पदोन्नति सूची में बुधवार को तीसरी बार संशोधन किया गया है. जारी संशोधन सूची में 419 शिक्षकों के नाम शामिल हैं. जिन्हें 4 फरवरी को होने वाली काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग लेने की पात्रता होगी. मामले में डीईओ डीएस चौहान ने कहा कि शुरुआत से ही जिनके नाम पदोन्नति सूची में शामिल हैं, वे सभी पदोन्नत हो चुके हैं. केवल एक प्रक्रिया के तहत उनके नाम अलग कर दिए गए हैं जिनको लेकर आपत्ति थी. इन्हें परिभ्रमण (Rotation) में रखा गया है. एक निर्धारित समय तक सभी के दस्तावेज की जांच की जाएंगी, जिसके बाद इन्हें काउंलिंग की आगामी तिथि तय कर पात्रता रखने वाले सभी को पदस्थ किया जाएगा.

अब तक 144 कर्मियों को किया बाहर

मैनपुर ब्लॉक में पदोन्नति की पहली सूची 31 अक्टूबर 2022 को जारी हुई थी. जिसमें 552 शिक्षकों के नाम शामिल थे. इस सूची में उन 32 टीचरों के नाम भी शामिल थे जिनके नियुक्ति की जांच लंबित थी. इन्हें पहले सांशोधन में बाहर निकाला गया. वरिष्ठता कोटे के कुछ नए नाम शामिल कर 17 जनवरी 2023 को 541 नाम जारी किए गए. अब बुधवार को तीसरी बार सूची जारी हुई. इसमें 112 लोगों के नाम काउंसलिंग से बाहर कर 419 शिक्षकों को 4 फरवरी की काउंसलिंग में शामिल होने कहा गया है. अब तक पूरी लिस्ट में 2005 से 2007 के बीच भर्ती शिक्षक जो जांच के दायरे में है, 2003 की संविदा भर्ती और 2005 में विलय के अलावा, शिक्षा गारंटी के तहत भर्ती लोगों के नाम भी शामिल हैं.

Jd के इसी लेटर के आधार पर काउंसलिंग से बाहर हुए शिक्षक

विभागीय पदोन्नति समिति की भूमिका पर उठे सवाल

पदोन्नति में नाम शामिल करने को लेकर वरिष्ठता सूची की समीक्षा करने के लिए विभागीय पदोन्नति समिति बनी हुई है. ऐसे में बार-बार संसोधित सूची पर समिति की बदलती राय ने समिति की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. बार-बार बदलती लिस्ट को लेकर समिति की बैठक होती है या नहीं इसे भी सार्वजनिक करने की मांग उठ रही है.

संशोधन का विरोध

परिभ्रमण (Rotation) के नाम पर काउंसलिंग से अचानक बाहर किये जाने के बाद छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक संघ फेडरेशन के जिला इकाई ने प्रभावित शिक्षको के साथ इस प्रक्रिया का विरोध दर्ज किया और डीईओ से मुलाकात की. इसके अलावा आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जनक ध्रुव ने भी इस पर आपत्ति दर्ज कराई है. जिनका आरोप है कि परिभ्रमण (Rotation) की आड़ में उगाही करने के लिए ये पैंतरा अपनाया गया है. पहले नियुक्त दिव्यांगों को भी नहीं बख्शा गया है.