रायपुर. श्री लाल गंगा पटवा भवन, टैगोर नगर रायपुर में पहली बार 25 अगस्त को जैन धर्म की सभी परंपराओं में एक रूप में मान्य णमोत्थुणं पाठ पर आधारित भव्य अनुष्ठान का आयोजन किया गया है. यह कार्यक्रम गतिमान चातुर्मासिक प्रवास अंतर्गत आचार्य महाश्रमण के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर व मुनिश्री नरेश कुमार के सानिध्य में सुबह 9 बजे से होगा.
णमोत्थुणं पाठ पर मुनिश्री सुधाकर ने बताया कि यह पाठ शाश्वत पाठ है, जिसकी रचना मानव द्वारा न होकर देवताओं के इन्द्र अर्थात शक्रेन्द देव ने की है. इस पाठ की विशेषता यह है कि इसमें किसी व्यक्ति विशेष की आराधना/उपासना व नामोल्लेख नहीं है. पूर्ण रूप से तीर्थंकर भगवान के गुणों का गुणानुवाद है. इस पाठ में किसी भी प्रकार की कोई भी कामना या याचना नहीं की गई है. यह पाठ चौंसठ इन्द्र एवं असंख्य देवी-देवताओं द्वारा वंदन से महाचमत्करिक है.
इन बातों का रखना होगा ख्याल
मुनिश्री ने आगे बताया कि इस पाठ की स्तुति से हमें आधि-व्याधि-उपाधि से मुक्ति, अशुभ कर्मों के निवारण, विघ्न, अनिष्ट से मुक्ति, गृहशांति, ग्रहशांति के साथ भाग्य, सौभाग्य के जागरण में सहायता प्राप्त होती है. अनुष्ठान में 108 बार णमोत्थुणं पाठ का जप करते हुए तीर्थंकर भगवान के 1008 नामों का उल्लेख भी किया जाएगा. विशेष यह है कि इस अनुष्ठान में जैन-अजैन कोई भी सहभागी बन सकता है, बस कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा, जैसे चमड़े से बनी वस्तुओं का वर्जन, शारीरिक स्वच्छता, शालीन परिधान/वस्त्र ( पुरुष – श्वेत व महिला – लाल ), मोबाइल का उपयोग आदि प्रतिबंधित है.
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