भारत के पश्चिमी छोर पर एक विशाल झील, नारायण सरोवर का आध्यात्मिक महत्व बहुत ज्यादा है. तिब्बत में मानसरोवर, कर्नाटक में पम्पा, ओडिशा में भुवनेश्वर और राजस्थान में पुष्कर के साथ-साथ यह हिंदू धर्म की 5 पवित्र झीलों में से एक है. इसे पवित्र स्नान के लिए एक प्रतिष्ठित स्थान माना जाता है. जो कि गुजरात के कच्छ जिले के लखपत तहसील में स्थित है. नारायण सरोवर पहुंचने के लिए सबसे पहले भुज पहुंचें. दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद से भुज तक रेलमार्ग से आ सकते हैं.
नारायण सरोवर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है. हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु नारायण सरोवर डुबकी लगाने के लिए आते हैं. मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु ने स्नान किया था. पवित्र नारायण सरोवर के तट पर भगवान आदिनारायण का प्राचीन और भव्य मंदिर है. प्राचीन कोटेश्वर मंदिर यहां से 4 किमी की दूरी पर है.
सिंधु के संगम पर है सरोवर
नारायण सरोवर का अर्थ है विष्णु का सरोवर. यहां सिंधु नदी का सागर से संगम होता है. इसी संगम के तट पर पवित्र नारायण सरोवर है. इस पवित्र नारायण सरोवर की चर्चा श्रीमद् भागवत में मिलती है. नारायण सरोवर में श्रद्धालु अपने पितरों का श्राद्ध भी करते हैं. मान्यता है कि प्राचीन समय में अनेक संत-महात्मा इस स्थान पर आए थे. जगतगुरु आदि शंकराचार्य भी इस स्थान पर आए थे.
नारायण सरोवर अभयारण्य
नारायण सरोवर चिंकारा अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है. इस अभयारण्य की मुख्य प्रजाति चिंकारा और भारतीय चिंकारा है. इस अभयारण्य का अधिकांश हिस्सा कांटेदार रेगिस्तान और झाड़-झंकाड़ वाला है. नारायण सरोवर अभयारण्य में 184 से भी ज्यादा पक्षियों की प्रजतियां पाई जाती हैं.
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