मुंबई। इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने चेतावनी देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की विफलता के कारण लाखों लोग निर्जन ग्रामीण क्षेत्रों से बेंगलुरू, पुणे और हैदराबाद जैसे पहले से ही बोझ से दबे शहरों में जा सकते हैं.

जेपी श्रॉफ फाउंडेशन द्वारा आयोजित सस्टेनेबिलिटी क्रूसेड पुरस्कार समारोह में बोलते हुए मूर्ति ने कहा, “जो होने की संभावना है वह यह है कि राज्यों के ग्रामीण इलाकों से बेंगलुरू, शायद पुणे, शायद हैदराबाद जैसे रहने योग्य स्थानों की ओर बड़े पैमाने पर पलायन होगा.”

उन्होंने उन पूर्वानुमानों की ओर इशारा किया कि बढ़ते तापमान के कारण भारत के कुछ हिस्से 20-25 वर्षों के भीतर रहने लायक नहीं रह जाएंगे.

मूर्ति ने इन शहरी केंद्रों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में खुलकर बात की. उन्होंने कहा, “इन शहरों में रहना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है, यहां आना-जाना मुश्किल हो गया है और प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है. ये रहने लायक नहीं रह गए हैं.”

उन्होंने जलवायु-संचालित शहरी दबावों से निपटने के लिए राजनेताओं, नौकरशाहों और कॉर्पोरेट नेताओं के बीच तत्काल सहयोग का आग्रह किया. उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बड़े पैमाने पर पलायन न हो. यही चुनौती है. ”

इस कार्यक्रम में पर्यावरणविद् माधव गाडगिल और उद्यमी आलोक काले को सम्मानित किया गया, साथ ही डॉ. रघुनाथ माशेलकर और उद्योगपति जमशेद गोदरेज जैसे उल्लेखनीय लोग भी इसमें शामिल हुए.