दिल्ली. देश में भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नाकाम रहे हैं. उसका पता अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ट्रांसपैरेंसी इंटरनैशनल की ताजा रिपोर्ट से चलता है. इस रिपोर्ट की मानें तो भ्रष्टाचार को लेकर भारत के सरकारी क्षेत्र की छवि दुनिया की निगाह में अब भी खराब है. वैसे 2015 की तुलना में स्थिति में सुधार के संकेत हैं. संस्था की ताजा रिपोर्ट ग्लोबल करप्शन इंडेक्स-2017 में देश को 81वें स्थान पर रखा गया है, जबकि पिछले साल की रिपोर्ट में भारत 79वें स्थान पर था. इस रैंकिंग में चीन को 41 अंकों के साथ 77वां स्‍थान मि‍ला है. वहीं ब्राजील को 96वीं रैंक मि‍ली है. रूस को 29 अंकों के साथ 135वां स्‍थान मि‍ला है.

रि‍पोर्ट के अनुसार इस मामले में भारत, फिलिपींस और मालदीव से काफी आगे है. इन देशों में भष्‍ट्राचार ज्यादा है और प्रैस की स्‍वतंत्रता कम है. यहां पत्रकारों की मौत का आंकड़ा भी ज्‍यादा है. पिछले 15 वर्षों में इस देशों में भ्रष्‍टाचार से जुड़े मामलों की कवरेज कर रहे 15 पत्रकारों की हत्‍या हो चुकी है. यह रिपोर्ट कमेटी टू प्रोटेक्‍ट जर्नलि‍स्‍ट की ओर से जारी की गई है.

भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकारों को एक सशक्त संदेश देने के उद्देश्य से 1995 में शुरू किए गए इस सूचकांक में 180 देशों की स्थित का आकलन किया गया है. यह सूचकांक विश्लेषकों, कारोबारियों और विशेषज्ञों के आकलन और अनुभवों पर आधारित बताया जाता है.

इसमें पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं के लिए काम की आजादी जैसी कसौटियां भी अपनाई जाती हैं. सूचकांक तैयार करने के लिए देशों को विभिन्न कसौटियों पर 0 से 100 के बीच अंक दिए जाते हैं. सबसे कम अंक सबसे अधिक भ्रष्टाचार व्याप्त होने का संकेत माना जाता है. इस बार की सूची में भारत को 40 अंक दिए गए हैं, जो पिछले साल के ही बराबर ही है पर 2015 के बाद स्थिति में सुधार हुआ जबकि भारत को 38 अंक दिए गए थे. ट्रांसपैरेंसी इंटरनैशनल ने कहा है, ‘पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कुछ देशों में पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, विपक्षी नेताओं और यहां तक कि कानून लागू करने वाली और नियामकीय एजेंसियों के अधिकारियों तक को धमकियां दी जाती हैं. कहीं कहीं स्थित ऐसी बुरी है कि उनकी हत्याएं तक कर दी जाती हैं.’

गौरतलब है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सतर्कता जागरूकता वीक 2016 की वैल्यूटेकरी फंक्शन में भाग लिया था. इस अवसर पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार को रोकने में प्रौद्योगिकी की अहम भूमिका है. लेकिन इसके बाद भी मोदी की पहल देश में भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम रही है.