Narmada Parikrama: भारत की पवित्र नदियों में से एक, माँ नर्मदा की परिक्रमा को हिंदू धर्म में भगवान शिव सहित अनेक देवताओं की परिक्रमा के समकक्ष माना जाता है. नर्मदा परिक्रमा एक विशिष्ट धार्मिक यात्रा है, जिसमें श्रद्धालु नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक से लेकर समुद्र संगम तक, और फिर लौटकर पुनः अमरकंटक तक लगभग 2600 से 3000 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी करते हैं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नर्मदा नदी भगवान शंकर की जटाओं से प्रकट हुई हैं और इसे साक्षात देवी का स्वरूप माना गया है.

परिक्रमा की अवधि

स्कंद और शिव पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में इसका विशेष उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि नर्मदा परिक्रमा से जीवन के पाप कटते हैं और आत्मा को शुद्धि एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह यात्रा अत्यंत कठिन होती है. परिक्रमावासी नियमपूर्वक नदी को बाईं ओर रखते हुए तट के समीप चलते हैं. कई साधक भूमि पर ही विश्राम करते हैं और केवल भिक्षा पर निर्वाह करते हैं. परिक्रमा की अवधि आमतौर पर 6 महीने से लेकर 3 वर्षों तक हो सकती है.

एक धार्मिक अनुष्ठान (Narmada Parikrama)

मध्यप्रदेश और गुजरात के विविध भू-भागों से गुजरती यह परिक्रमा न केवल धार्मिक यात्रा है, बल्कि संस्कृति, प्रकृति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम भी है. इस यात्रा में श्रद्धालु प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ ग्रामीण जीवन की सरलता और धार्मिकता का अनुभव करते हैं. आज भी हजारों श्रद्धालु परंपरागत नियमों का पालन करते हुए माँ नर्मदा की परिक्रमा में जुटे हैं. यह परिक्रमा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि आस्था, संयम और आत्मानुशासन का एक जीवंत उदाहरण भी बन चुकी है.