इन्द्रपाल सिंह, नर्मदापुरम। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम से ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों को कटघरे में खड़ा कर दिया। दरअसल, आवासीय विद्यालय के बच्चे अंग्रेजी और गणित के आसान सवालों के उत्तर भी नहीं दे सके। यह तो छोड़िए बच्चों को हिंदी भी ठीक से पढ़ना नहीं आती। सिलेबस भी अधूरा है। ऐसे में बच्चों का भविष्य कैसे गढ़ेंगे ? यह बहुत बड़ा सवाल है।

दरअसल, नर्मदापुरम जिले की कलेक्टर सोनिया मीना ने गुरुवार को सेमरी हरचंद के पास स्थित शासकीय जनजातीय बालक आश्रम शाला छात्रावास सिद्धपुर का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने आवासीय विद्यालय की शैक्षणिक स्थिति, विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता, छात्रावास की साफ-सफाई और भोजन व्यवस्था की गहन जांच की।

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विद्यार्थियों से पूछे सवाल, शैक्षणिक स्तर कमजोर

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने छोटे-छोटे विद्यार्थियों से बातचीत की और हिंदी, अंग्रेजी और गणित के सरल प्रश्न पूछकर उनकी पढ़ाई का आकलन किया। कई विद्यार्थी न तो हिंदी और अंग्रेजी ठीक तरह से पढ़ पाए और न ही गणित के आसान सवालों के सही उत्तर दे सके।

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इस पर कलेक्टर सोनिया मीना ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बच्चों में सीखने की क्षमता बहुत अधिक है, लेकिन शिक्षक उन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहे है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बच्चों का पाठ्यक्रम अधूरा है और अभ्यास भी कमजोर है। ऐसे में यह स्थिति गंभीर है, क्योंकि आवासीय विद्यालय जनजातीय बच्चों के भविष्य को सुधारने की राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी पहल है।

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