लखनऊ. अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस 13 अक्टूबर से पूर्व संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण से जुड़ी एक चिंतित करने वाली रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट में पर्यावरण और उससे होने वाले आर्थिक नुकसान का पिछले 20 वर्ष (1998-2017) का अध्ययन किया गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में भारत को इन प्राकृतिक आपदाओं से करीब 79.5 बिलियन डॉलर (करीब 60 लाख करोड़ रूपये) का आर्थिक नुकसान हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र की ‘आर्थिक नुकसान, गरीबी और आपदाएं’ शीर्षक के नाम से जारी रिपोर्ट के मुताबिक सन् 1998-2017 के बीच में पूरे विश्व में आपदाओं के कारण करीब 151% अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ. ये आर्थिक नुकसान उससे पहले के दो दशक के नुकसान से भी दुगुना था. 1978-97 के बीच मौसम और उससे जुड़ी आपदाओं से 895 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था,जो पिछले दो दशकों में बढ़कर 2.908 ट्रिलीयन डॉलर हो गया है.
जलवायु परिवर्तन जैसे संवेदनशील मुद्दे पर पीछे हटने वाले अमेरिका को सबसे अधिक 944.8 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. इसके बाद चीन(492 बिलियन), जापान(376.3 बिलियन) जैसे विकसित देश है। भारत इस सूची में 79.5 बिलियन डॉलर के साथ चौथे स्थान पर है.
इन आपदाओं में 91% आर्थिक नुकसान का कारण तूफान और बाढ़ हैं. इन दो दशकों में भूकंप और सुनामी के कारण लगभग 13 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई. इन आपदाओं के कारण तकरीबन 4.5 अरब लोग विस्थापित,घायल और बेघर हुए. रिपोर्ट के अनुसार भूकंप और सुनामी के चलते 7.5 लाख लोगों की जानें गयी.
संयुक्त राष्ट्र के सचिव एंटोनियो गुटेरिस ने अपने संबोधन में कहा कि अब समय आ गया है कि जलवायु परिवर्तन और उससे होने वाली आपदाओं के बारे में विश्व के सभी देश विचार करें, नहीं तो ये आने वाली पीढ़ी को खत्म कर देगी. गुटेरिस ने कहा कि अगर प्रकृति से होने वाले आर्थिक नुकसान को कम नहीं किया गया तो दुनिया और भी गरीबी में चली जायेगी. रिपोर्ट कहती है कि मौसम में परिवर्तन के कारण अधिक आय वाले देशों में 53% और कम आय वाले देशों में 13% का आर्थिक नुकसान हुआ है.