National Doctor's Day 2025: सच्चा डॉक्टर वह है, जो अपने मरीज को इंसान के रूप में देखता है, केवल बीमारी के रूप में नहीं. वह मरीज के दर्द को समझता है, उसके इलाज में पूरी निष्ठा, ज्ञान और सहानुभूति लगाता है और ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभाता है.

National Doctor’s Day 2025: रायपुर. आज डॉक्टर्स डे है. एकेडमिक डिग्री तो जरूरी है लेकिन इसके अलावा कई ऐसे विशेष गुण हैं, जो सिर्फ डॉक्टर में ही होते हैं. इन्हीं गुणों के कारण इन्हें धरती का भगवान कहा जाता है. डॉक्टर बनना कठिन जरूर है लेकिन यह एक सेवा और जिम्मेदारी का पेशा है. समाज डॉक्टर को बहुत उम्मीद से देखता है. एक सच्चा डॉक्टर वही है, जो अपने ज्ञान, नैतिकता और करुणा से मरीज की सेवा करे.

डिग्री से शुरुआत

डाँक्टर बनने के लिए 10वीं बोर्ड के बाद साइंस की पढ़ाई करनी होती है. 12वीं के बाद नीट की परीक्षा देनी होती है. क्वालीफाई करने के बाद सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज में 4.5 वर्ष तक पढ़ाई और एक वर्ष इंटर्नशिप करना होता है. एमचीबीएस की डिग्री मिलने पर कोई भी डॉक्टर रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर कहलाने लगता है. प्रैक्टिस कर सकता है. एमबीबीएस के बाद स्पेशलाइजेशन के लिए पीजी (एमडी/एमएस/डीएनबी) करना होता है, इसके लिए नीट पीजी परीक्षा होती है. पीजी के बाद भी कोई डॉक्टर आगे बढ़ना चाहता है तो डीएम एससीएच (सुपर स्पेशलाइजेशन) कर सकता है, जैसे डीएम कार्डियोलॉजी, एमसीएच न्यूरोसर्जरी आदि. दूसरे विकल्पों में बीडीएस, आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, सिद्ध योगा के माध्यम से भी परीक्षा पास कर डॉक्टर की डिग्री ले सकते हैं.

नैतिकता पर जोर

  • डॉक्टर हमेशा नैतिकता पर जोर देते हैं.
  • गोपनीयताः मरीज की बीमारी, रिपोर्ट, निजी बाहें किसी को नहीं बताते हैं.
  • अहितकरः कभी ऐसा इलाज नहीं करते, जिससे मरीज को नुकसान हो.
  • उपकारः हमेशा मरीज की भलाई के लिए कार्य करते हैं.
  • न्यायः इलाज में भेदभाव नहीं करते.
  • स्वतंत्रताः मरीज को अपने इलाज के थाने में सही जानकारी देते हैं और उसकी अनुमति लेते हैं!
  • ईमानदारीः झूठ नहीं बोलते, अनावश्यक जांच या इलाज न लिखते.

शपथः सेवा और भलाई

डॉक्टर बनने के बाद एक शपथ दिलाई जाती है, जिसे हिप्पोक्रेटिक ओथ कहते हैं. यह शपथ ग्रीस के महान डॉक्टर हिप्पोक्रेट्स के नाम पर है. मरीज की भलाई ही प्राथमिकता होगी. किसी भी मरीज को जानबूझकर हानि नहीं पहुंचाऊंगा, मरीज की जानकारी गोपनीय रखूंगा. ज्ञान को ईमानदारी से बढ़ाता रहूंगा, इलाज धर्म, जाति, भाषा, लिंग, अमीरी-गरीबी देखकर नहीं करूंगा. इलाज करते समय अपने विचार या लाभ को मरीज के ऊपर नहीं रखूंगा.