महिलाओं में समय के साथ जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अभी भी एक बात ऐसी है, जिस पर अभी भी उनकी सोच दकियानूसी है. बात हो रही है घरेलू हिंसा की, जिसमें पति के हाथों होने पिटाई को महिलाएं जायज ठहराती हैं.
नई दिल्ली। नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे (National Family and Health Survey) की हाल ही मे जारी रिपोर्ट में अनेक दबी-छिपी बातें सामने आई हैं. सर्वे में घरेलू हिंसा के संबंध में जानकारी के लिए सवाल किए गए थे, जिसमें पूछा गया था कि पति का पत्नी को पीटना कितना उचित है? जवाब देने के लिए ‘7 स्थितियां’ रखी गईं. इनमें पति को बगैर बताए घर से बाहर जाने, घर या बच्चों को नजरअंदाज करने, पति के साथ बहस करने, पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करने, खाना ठीक तरह से न बनाने, पति को पत्नी के चाल-चलन पर शक होने, ससुरालवालों का आदर न करने जैसे विकल्प थे.
सर्वे में 14 राज्यों की महिलाओं और पुरुषों से इसका जवाब मांगा गया था. इसमें तेलंगाना में सबसे ज्यादा 83.8 फीसदी और आंध्र प्रदेश 83.6 फीसदी महिलाओं का मानना है कि घरेलू हिंसा जायज है. आसान शब्दों में कहें तो, घरेलू हिंसा पर महिलाएं खुद ही राजी हैं. जबकि, इसी सर्वे के अनुसार, महिलाओं में शिक्षा का स्तर, घर के निर्णयों में उनके अधिकार, भविष्य की सुरक्षा जैसे मामलों पर उनकी जागरूकता लगातार बढ़ रही है.
नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू हिंसा के मामले में तमिलनाडु (38.1 फीसदी) अव्वल नंबर पर है. वहीं, उत्तर प्रदेश (34.8 फीसदी) दूसरे नंबर पर है. इसके बाद झारखंड (31.5 फीसदी), ओडिशा (30.6 फीसदी), पुडुचेरी (30.5 फीसदी) मध्य प्रदेश (28.1 फीसदी), अरुणाचल प्रदेश (24.8 फीसदी), राजस्थान (24.3 फीसदी), दिल्ली (22.6 फीसदी), छत्तीसगढ़ (20.2 फीसदी), हरियाणा (18.2 फीसदी), उत्तराखंड (15.1 फीसदी), पंजाब (11.6 फीसदी) और चंडीगढ़ (9.7 फीसदी) का नंबर आता है.
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सर्वे के मुताबिक, घरेलू हिंसा को सही मानने के सबसे आम कारणों में ससुरालवालों का अनादर, घर और बच्चों की अनदेखी करना है. महिलाओं और पुरुषों ने घर से बिना बताए जाने, चाल-चलन पर शक होने जैसे कारणों को घरेलू हिंसा के लिए अनुचित माना है. बहरहाल, बड़ा सवाल यह है कि अगर महिलाओं में अपने अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, तो उसका परिणाम उनकी सोच में क्यों नहीं दिख रहा है, या फिर पैमाना में ही कोई खामी है.
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