कुमार इंदर, जबलपुर। प्रदेश भर में आज यानी 9 मार्च को राष्ट्रीय लोक अदालत लगाई जाएगी। इस राष्ट्रीय लोक अदालत के तहत हाई कोर्ट की मुख्य खंडपीठ जबलपुर, हाईकोर्ट की ग्वालियर बैंच और हाई कोर्ट की इंदौर बैंच समेत कुल 6 खंडपीठ बनाई गई है। वहीं प्रदेश भर में 1190 खंडपीठों में प्रकरण सुने जाएंगे।

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राष्ट्रीय लोक अदालत में 5 लाख से ज्यादा मामलों की सुनवाई की जाएगी। जिसमें 2 लाख 41 हजार से ज्यादा लंबित मामलों की सुनवाई होगी। वहीं 3 लाख 11 हजार से ज्यादा प्री लिटिगेशन प्रकरणों को समझौते के लिए रखा जाएगा। राष्ट्रीय लोक अदालत में विद्युत अधिनियम के लिए लंबित प्री लिटिगेशन पर भी सुनवाई होगी। प्री लिटिगेशन प्रकरणों में विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को नियमानुसार विभिन्न छूट प्रदान की जाएगी।

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कैसे काम करती है राष्ट्रीय लोक अदालत
एनएएलएसए अन्य कानूनी सेवा संस्थानों के साथ मिलकर लोक अदालतों का आयोजन करता है। लोक अदालत वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्रों में से एक है। यह एक ऐसा मंच है जहां अदालत में पूर्व-मुकदमेबाजी चरण में लंबित विवादों/मामलों का सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटारा/समझौता किया जाता है। लोक अदालतों को कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत वैधानिक दर्जा दिया गया है। उक्त अधिनियम के तहत, लोक अदालतों द्वारा दिया गया पुरस्कार (निर्णय) एक सिविल अदालत का डिक्री माना जाता है और सभी पक्षों पर अंतिम और बाध्यकारी होता है।

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ऐसे पुरस्कार के विरुद्ध किसी भी न्यायालय में कोई अपील नहीं की जा सकती। यदि पक्ष लोक अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, हालांकि ऐसे फैसले के खिलाफ अपील का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन वे आवश्यक प्रक्रिया का पालन करके मामला दायर करके उचित क्षेत्राधिकार वाली अदालत में जाकर मुकदमा शुरू करने के लिए स्वतंत्र हैं। मुकदमेबाजी के अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए।

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