रायपुर. कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में होने वाली राष्ट्रीय संगोष्ठी स्थगित कर दी गई है. बताया जा रहा है कि कथित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय परिसर में बेहद गुपचुप ढंग से किया जा रहा था. इस मामले में विश्वविद्यालय के कार्य परिषद सदस्य राजकुमार सोनी और आवेश तिवारी ने कड़ा विरोध जताया था. परिषद के सदस्य गोष्ठी में विरोध प्रकट करने के लिए धरने पर भी बैठने की तैयारी कर चुके थे, लेकिन मामला बिगड़ता देख विश्वविद्यालय प्रशासन ने संगोष्ठी स्थगित कर दी.

सदस्यों का कहना है कि इस वक्त जब मणिपुर जल रहा है और देश के अन्य हिस्से जरूरी सवालों से सुलग रहे हैं, ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन ने ‘अमृत महोत्सव’ मनाने की तैयारी कर ली थी. विश्वविद्यालय ने आजादी का अमृत महोत्सव और पत्रकारिता विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी तय कर दी थी. इस संगोष्ठी के जरिए छात्र-छात्राओं का ब्रेनवॉश करने के लिए ऐसे विचारकों को आमंत्रित किया गया था जो कहीं न कहीं से संघ की विचारधारा को पल्लवित और पोषित करते हैं.

संगोष्ठी में माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विवादित कुल सचिव अविनाश बाजपेयी को भी आमंत्रित किया गया था. अविनाश के खिलाफ पंजाब के एक प्रोफ़ेसर आशुतोष मिश्रा की शिकायत के बाद कई स्तरों पर जांच चल रही है. अविनाश बाजपेयी के खिलाफ यह शिकायत उनकी शिक्षा-दीक्षा और पीएचडी में फर्जीवाड़े को लेकर है. विरोध के बाद अविनाश बाजपेयी ने छत्तीसगढ़ आने से इंकार कर दिया. जबकि दूसरे वक्ता तमिलनाडु से यहां पहुंच तो गए, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें प्रायोगिक परीक्षा के काम में लगा दिया. वहीं गोष्ठी में शामिल होने के लिए सहमति देने वाले एक संपादक ने सारे विवाद से खुद को अलग कर लिया.

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