कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश में “पुरातत्व में नवीन अन्वेषण” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन होने जा रहा है। 30 और 31 अगस्त को ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी के गालव सभागार में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन होगा। देशभर से 100 से ज्यादा प्रसिद्ध विद्वान, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं संगोष्ठी में शामिल होंगे। इसका शुभारंभ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ संजय कुमार मंजुल करेंगे। राष्ट्रीय संगोष्ठी में जनजातीय विषय पर आधारित प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रहेगी। जहां जनजातिय लोक शिल्प, कला, वेशभूषा आदि की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।

दरअसल, मध्य प्रदेश में हाल ही में पुरातात्विक गतिविधियों को आगे बढ़ाते हुए नए शोध किए गए हैं। जिनमें विशेषकर ग्वालियर चंबल अंचल में कई महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोज हुई हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान यानी पीएम उषा के साथ मिलकर जीवाजी विश्वविद्यालय की ओर से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। जो कि मध्य प्रदेश में हाल के वर्षों में हुई पुरातात्विक गतिविधियों, नई तकनीक की भूमिका और शोध के बदलते आयाम पर केंद्रित होगी।

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कई राज्यों के विद्वान, शोधार्थी और छात्र होंगे शामिल

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्देश्य रेडियोकार्बन डेटिंग, रिमोट सेंसिंग तकनीक, अनुवांशिकी अध्ययन,GIS मैपिंग और आइसोटोप विश्लेषण जैसी आधुनिक तकनीक के साथ नवीन विधियों का एकीकरण करते हुए प्राचीन मानव गतिविधियों, उनके आवास स्थलों और उनके बसने की प्रक्रिया के क्षेत्र में अनुसंधान को आगे बढ़ने का काम करना है। संगोष्ठी का शुभारंभ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ संजय कुमार मंजुल बतौर मुख्य अतिथि करेंगे। इस दौरान देशभर के अलग-अलग राज्यों जिनमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, बिहार, दिल्ली और लद्दाख समेत अन्य राज्यों से आये हुए 100 से ज्यादा प्रसिद्ध विद्वान, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं भी संगोष्ठी में शामिल होंगे। महत्वपूर्ण विषयों पर पैनल चर्चा, व्याख्यान और शोध पत्र भी इसमें प्रस्तुत किए जाएंगे।

इन पर होगा विचार विमर्श

आपको बता दें कि इस संगोष्ठी के जरिए न केवल एकेडमिक चर्चा को प्रोत्साहित किया जाएगा, बल्कि युवा शोधार्थियों विद्यार्थियों को पुरातत्व के आधुनिक स्वरूप से भी जोड़ा जाएगा। यही वजह है कि संगोष्ठी में शैल चित्रकला, मूर्ति कला ,मुद्रा शास्त्र और अभिलेख, विमुक्त खानाबदोश और अर्ध खानाबदोश जनजातियों का सामाजिक सांस्कृतिक अध्ययन, ग्वालियर चंबल क्षेत्र में सहरिया जाति का अध्ययन, मध्य प्रदेश में प्राचीन जल प्रबंधन प्रणाली सहित अन्य विषयों के साथ ही धरोहरों का जीणोद्धार संरक्षण आदि विषय पर विचार विमर्श भी होगा।

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प्रदर्शनी का भी आयोजन

ग्वालियर में आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के मौके पर जनजातीय विषय पर आधारित एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जाएगा। जिसमें जनजातीय लोक शिल्प, कला, वेशभूषा आदि आकर्षण का विषय होंगे। इस आयोजन के जरिए जनजातीय समुदायों को पहचान और आर्थिक सहयोग प्रदान करने के साथ ही उनकी संस्कृति के संरक्षण में सहायता मिलेगी।

डॉ शांति देव सिसोदिया- आयोजन सचिव

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