नई दिल्ली। लोकसभा ने राष्ट्रीय खेल विधेयक और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इन दोनों बिलों को युवा कार्य एवं खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने 11 अगस्त को सदन में पेश किया था। सरकार का दावा है कि इनका उद्देश्य भारत को खेलों में महाशक्ति बनाना और खेल प्रशासन को पारदर्शी व जवाबदेह बनाना है।

नए खेल विधेयक के लागू होने के बाद नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड (NSB) का गठन किया जाएगा, जो सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों, यहां तक कि बीसीसीआई की गतिविधियों की निगरानी करेगा। चूंकि क्रिकेट अब 2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक का हिस्सा बनने जा रहा है, बीसीसीआई को भी राष्ट्रीय खेल संघ के रूप में पंजीकरण कराना होगा।

विधेयक में नेशनल स्पोर्ट्स ट्रिब्यूनल बनाने का प्रावधान भी है, जिसे सिविल कोर्ट के बराबर अधिकार होंगे। यह चयन प्रक्रिया, चुनाव और अन्य विवादों का निपटारा करेगा। ट्रिब्यूनल के फैसलों के खिलाफ अपील केवल सुप्रीम कोर्ट में ही की जा सकेगी।

BCCI अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे रोजर बिन्नी

बीसीसीआई के लिए एक बड़ी राहत यह है कि विधेयक में खेल प्रशासकों की आयु सीमा में ढील दी गई है। अब अंतरराष्ट्रीय संस्था की मंजूरी के बाद 70 से 75 वर्ष तक की उम्र के लोग भी खेल संघ के चुनाव लड़ सकते हैं। इसका सीधा फायदा मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी को मिलेगा, जो 19 जुलाई को 70 वर्ष के हो चुके हैं और अब अपने पद पर आगे भी बने रह सकते हैं।

राष्ट्रीय डोपिंग रोधी संशोधन विधेयक को भी मंजूरी

नेशनल एंटी-डोपिंग (संशोधन) विधेयक, 2025 भारत में डोपिंग-रोधी व्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय मानकों, विशेष रूप से वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) के नियमों, के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से पारित किया गया है। इसका मुख्य लक्ष्य नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) को पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता प्रदान करना और सरकार के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप को समाप्त करना है। वर्ष 2022 में लागू नेशनल एंटी-डोपिंग अधिनियम पर WADA ने आपत्ति जताई थी कि अधिनियम के अंतर्गत गठित नेशनल बोर्ड फॉर एंटी-डोपिंग इन स्पोर्ट्स को NADA पर निगरानी और निर्देश देने का अधिकार दिया गया था, जिसे उसने “सरकारी हस्तक्षेप” माना। WADA के मानकों का पालन न होने की स्थिति में भारत पर अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों से प्रतिबंध या निलंबन का खतरा था।

संशोधन के तहत, नेशनल बोर्ड फॉर एंटी-डोपिंग की संरचना यथावत रहेगी, लेकिन उसके पास अब NADA पर कोई नियंत्रण या निर्देश देने का अधिकार नहीं होगा। NADA को पूर्ण ऑपरेशनल इंडिपेंडेंस दी गई है, जिससे डोपिंग मामलों से संबंधित सभी निर्णय केवल उसके तकनीकी और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा लिए जाएंगे, और सरकार या राजनीतिक नियुक्त व्यक्ति का इसमें कोई प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं होगा।

इस बदलाव से भारत की डोपिंग-रोधी प्रणाली WADA के अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो जाएगी, खिलाड़ियों को निष्पक्ष व पारदर्शी जांच और सुनवाई का अवसर मिलेगा, और अंतरराष्ट्रीय खेलों में भारत की साख व भागीदारी सुरक्षित रहेगी, जिससे किसी भी प्रकार के प्रतिबंध का जोखिम समाप्त हो जाएगा।

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